एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर दावा तो ठोक दिया, लेकिन राह नहीं आसान, जानिये कानूनी अड़चन

विधायकों को दिये अपने संबोधन में एकनाथ शिंदे ने किसी पार्टी का नाम लिये बिना कहा, एक राष्ट्रीय पार्टी हमारे साथ है, जिसने पाक से सीधे मुकाबला किया था, उसने हमारे मुद्दे पर समर्थन जताया है।

New Delhi, Jun 24 : शिवसेना बागी विधायकों ने गुवाहाटी के पांच सितारा होटल में मीटिंग कर एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुन लिया है, इस मौके पर बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना समर्थन दिया है, इसके साथ ही उनके नाम पर उन्हें कोई भी निर्णय लेने की छूट भी दी, मीटिंग के दौरान शिंदे ने बागी विधायकों को संबोधित भी किया। शिंदे खेमे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हम उत्साहित हैं, हर कदम विचार-विमर्श के बाद ही उठाया जा रहा है, हम प्रत्येक निर्णय के बारे में जानते हैं, एक बागी वरिष्ठ विधायक ने कहा कि शिंदे ने हम सभी को आश्वस्त किया है, कि हम ही असली शिवसेना बनने जा रहे हैं।

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क्या कहा
विधायकों को दिये अपने संबोधन में एकनाथ शिंदे ने किसी पार्टी का नाम लिये बिना कहा, एक राष्ट्रीय पार्टी हमारे साथ है, जिसने पाक से सीधे मुकाबला किया था, उसने हमारे मुद्दे पर समर्थन जताया है। eknath shinde uddhav thackeray शिंदे गुट की ओर से दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिये विधायकों की आवश्यक संख्या को जुटा लिया है, हालांकि उन्हें असली शिवसेना बनने के लिये कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा, वहीं इस मसले पर प्रदेश सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत अलग समूह बनाने के लिये दो तिहाई बहुमत की जरुरत होती है, इसके लिये उन्हें सदन में डिप्टी स्पीकर के सामने अपनी इस ताकत को दिखाना होगा।

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37 विधायकों की जरुरत
एकनाथ शिंदे को अलग पार्टी बनाने के लिये कम से कम 37 विधायकों के समर्थन की जरुरत होगी, इसके साथ ही उन्हें चुनाव आयोग में एक आवेदन ही दाखिल करना होगा, फिर इसके बाद चुनाव आयोग की ओर से उनको चुनाव चिन्ह आदि दिया जाएगा, हालांकि सूत्रों का कहना है कि शिंदे शिवसेना पार्टी तथा उनके चुनाव चिन्ह तीर-धनुष पर दावा कर सकते हैं। eknath एकनाथ शिंदे की ओर से शिवसेना पर दावा ठोकने को लेकर सूत्रों का कहना है कि शिंदे को शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर-धनुष लेने के लिये कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें निर्वाचित सदस्यों में ही विभाजन नहीं बल्कि पार्टी के पदाधिकारियों में भी विभाजन को सुनिश्चित करना होगा, ठाकरे खेमे में शिंदे को पहले ही शिवसेना विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है, महाराष्ट्र विधायक के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने भी अजय चौधरी को शिंदे की जगह शिवसेना समूह के नेता के रुप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है।

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निष्कासन का विरोध
एकनाथ शिंदे को लिखे एक लेटर में उनके निष्कासन का विरोध किया गया था, उन्होने कहा था कि पद से उनका निष्कासन अमान्य था, क्योंकि जिस बैठक में चौधरी को नियुक्त किया गया था, उसमें सिर्फ 15 से 16 विधायकों ने ही भाग लिया था, उन्होने लेटर में आगे कहा कि वो सुनील प्रभु को भरत गोगावले की जगह शिवसेना विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त कर रहे हैं, विधानसभा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लेटर को लेकर कहा, हमें शिंदे की ओर से ऐसा कोई भी लेटर नहीं मिला है, बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि कुछ कानूनी अड़चनों का जरुर सामना करना पड़ सकता है, जिसमें कुछ समय भी लग सकता है लेकिन महाविकास आघाड़ी सरकार का पतन बिल्कुल निश्चित है।