इकलौते बेटे की मौत ने जगदीप धनखड़ को तोड़ दिया था, राजनीति में नहीं आना चाहते थे
बचपन के दोस्त ने बताया कि धनखड़ दिल-दिमाग से बेहद मजबूत है, उनके दो बच्चे थे, बेटा दीपक और बेटी कामना, दीपक अजमेर के मेयो स्कूल में पढता था, 14 साल की उम्र में फरवरी 1994 में दीपक को ब्रेन हेमरेज हो गया।
New Delhi, Aug 06 : उपराष्ट्रपति पद के लिये मतदान जारी है, आज ही नतीजे भी घोषित होंगे, एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का पलड़ा भारी लग रहा है, ऐसे में आइये उनकी निजी जिंदगी के बारे में आपको बताते हैं, उनके राजनीतिक सफर की भी चर्चा होगी।
राजस्थान से नाता
राजधानी जयपुर से करीब 200 किमी दूर झुंझनू जिले में एक छोटा सा गांव है, वो अभी भी बीच-बीच में अपने गांव आते रहते हैं, उनके बचपन के दोस्त ने बताया कि फरवरी में जगदीप गांव आये थे, जगदीप धनखड़ 4 भाई-बहनों में दूसरे नंबर के हैं, बड़े भाई कुलदीप धनखड़ और जगदीप से छोटे रणदीप और बहन इंद्रा है, चारों में प्रेम बरकरार है, कुलदीप को आज भी जगदीप को डांट-फटकार लगाते हैं, जगदीप बचपन से ही पढाई में होशियार थे, साथ ही मौज मस्ती भी खूब करते थे।
राजनीति में नहीं आना चाहते थे
जगदीप के छोटे भाई तथा राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रहे रणदीप ने बताया कि 6ठीं क्लास के बाद वो चितौड़गढ सैनिक स्कूल चले गये, महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की, इसके बाद वकालत, फिर उनका नाम बड़े वकीलों में गिना जाने लगा। हम दोनों भाइयों की शादी एक ही दिन 1 फरवरी 1979 को हुई थी, वो कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, कुछ राजनेता से संपर्क था, उन्हीं के कहने पर 1988-89 में जनता दल की ओर से झुंझनू से लोकसभा चुनाव लड़ा, वो चुनाव जीत गये, पहली बार सांसद बनते ही केन्द्रीय मंत्री भी बन गये।
इकलौते बेटे की मौत से टूट गये थे
बचपन के दोस्त ने बताया कि धनखड़ दिल-दिमाग से बेहद मजबूत है, उनके दो बच्चे थे, बेटा दीपक और बेटी कामना, दीपक अजमेर के मेयो स्कूल में पढता था, 14 साल की उम्र में फरवरी 1994 में दीपक को ब्रेन हेमरेज हो गया, आनन-फानन में दिल्ली लेकर गये, लेकिन बचा नहीं सके। बेटे की मौत ने धनखड़ को तोड़ दिया था, इसके बावजूद वो उस दर्द से बाहर निकले, पूरे परिवार को संभाला, बेटी कामना उनके साथ ही रहती है।