‘सुशासन नहीं पलटीमार बाबू’, अब तक किस-किस को राजनीतिक धोखा दे चुके हैं नीतीश कुमार?

नीतीश कुमार वैसे तो पहले भी सीएम बन चुके थे, लेकिन 2005 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आये, बीजेपी की मदद से सरकार चलाई, फिर 2010 में उससे ज्यादा विधायकों के साथ सत्ता में लौटे।

New Delhi, Aug 09 : बिहार में सरकार एक बार फिर बदल गई है, नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होकर एक बार फिर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने का दावा किया है, जिसके बाद वो बीजेपी और आलोचकों के निशाने पर हैं, बीजेपी नेता नित्यानंद राय ने सुशासन बाबू को लोभी कहा है, तो कोई कुछ और कह रहा है, ऐसा नहीं है कि नीतीश ने पहली बार पलटी मारी है, इससे पहले भी उन पर कई लोगों को धोखा देने के आरोप लगते हैं, सत्ता के लिये उन्होने अपने कई करीबी नेताओं को भी हाशिये पर धकेल दिया।

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2005 में बीजेपी के साथ सरकार
नीतीश कुमार वैसे तो पहले भी सीएम बन चुके थे, लेकिन 2005 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आये, बीजेपी की मदद से सरकार चलाई, फिर 2010 में उससे ज्यादा विधायकों के साथ सत्ता में लौटे, 2013 में बीजेपी नेतृत्व बदलने लगा, Nitish kumar आडवाणी जी का युग ढलान पर था, मोदी उभर रहे थे, जिसके बाद नीतीश कुमार एनडीए से नाता तोड़ लिया, 2014 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी बुरी तरह हारी, फिर उन्होने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, और जीतन राम मांझी को सीएम बनाया, इसके बाद कुछ समय तो ठीक चला, फिर मांझी से मतभेद होने लगे, जिसके बाद उनको पद से हटाकर वापस सीएम बने। मांझी ने जदयू छोड़ अलग पार्टी बना ली, नीतीश के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाये।

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राजद से गठबंधन
बीजेपी से लड़ने के लिये 2015 विधानसभा चुनाव में नीतीश ने लालू के साथ गठबंधन किया, फिर सत्ता में लौटे, तेजस्वी डिप्टी सीएम बने, लेकिन फिर 2017 में तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, Nitish Kumar Tejashwi Yadav जिसके बाद नीतीश ने राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़, एनडीए में वापसी कर ली, फिर से बीजेपी की मदद से सीएम बन गये, लालू और कांग्रेस ने उन पर कई तरह के आरोप लगाये, तेजस्वी ने उनका नाम पलटू चाचा रखा, फिर 2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़े और 40 में से 39 सीटें एनडीए के खाते में आई।

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2020 में बीजेपी के साथ चुनाव
इसके बाद नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर 2020 विधानसभा चुनाव लड़ा, हालांकि उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, लेकिन शर्त के मुताबिक बीजेपी ने उन्हें सीएम की कुर्सी सौंप दी, फिर अंदरखाने बीजेपी से मतभेत होने लगे, Nitish shah अलग-अलग मुद्दों पर दोनों ओर से बयानबाजी जारी थी, अब उन्होने एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़ महागठबंधन का रुख किया है। जिसके बाद उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

साथियों को भी किनारे करने का आरोप
जदयू के संस्थापक सदस्यों में 4 लोग थे, जिसमें नीतीश कुमार के अलावा दिग्विजय सिंह, शरद यादव और जॉर्ज फर्नाडिंस का नाम शामिल है, nitish JDU हालांकि इन तीनों का क्या राजनीतिक हश्र नीतीश ने किया, ये लोगों ने देखा है, जिन लोगों ने मिलकर पार्टी बनाई थी, उन्हें ही पार्टी से बाहर कर दिया गया और नीतीश ने इस पर कब्जा कर लिया, ऐसा आरोप लगता है।