लव स्टोरी- दहेज के खिलाफ अपने ही पिता से विद्रोह कर गये थे नीतीश कुमार, शिक्षिका से की थी शादी

नीतीश कुमार की पत्नी मंजू अब इस दुनिया में नहीं हैं, आइये इस खास मौके पर हम आपको मुख्यमंत्री की लव स्टोरी के बारे में बताते हैं, जिसके लिये वो अपने पिता से भी विद्रोह कर गये थे।

New Delhi, Aug 10 : नीतीश कुमार 8वीं बार आज मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ले चुके हैं, इस बार उन्होने राजद के समर्थन से सरकार बनाई है, खैर आज हम आपको उनके राजनीति करियर के बारे में नहीं बताएंगे, नीतीश की पत्नी मंजू अब इस दुनिया में नहीं हैं, आइये इस खास मौके पर हम आपको मुख्यमंत्री की लव स्टोरी के बारे में बताते हैं, जिसके लिये वो अपने पिता से भी विद्रोह कर गये थे।

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यहां से शुरुआत
सियोदा गांव में नीतीश के लिये उनका मेल मिल गया, ये गांव ना तो कल्याणबीघा से ज्यादा दूर है और ना बख्तियारपुर से, कृष्णनंदन सिन्हा गांव में स्कूल के प्रिसिंपल तथा कुर्मी समाज के बीच एक सम्मानित शख्स थे, उनकी बेटी मंजू पटना के मगध महिला कॉलेज में समाजशास्त्र की छात्रा थी, लड़का इंजीनियर, और लड़की शिक्षिका बनने की चाहत रखने वाली, जोड़ा अच्छा बन रहा था, नीतीश के घनिष्ठ मित्रों को लगा कि नीतीश जल्द शादी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते थे, लेकिन एक सीमा के आगे उन्होने शादी का विरोध भी नहीं किया, शादी के लिये मान जाने पर उनके दोस्तों ने उकसाया कि एक बार मंजू को कॉलेज के पास बुलाकर देख लें, सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी एक दिन बवाल हो गया, दरअसल नीतीश को भनक लग गई कि उनके पिता ने मंजू के पिता से दहेज के रुप में 22 हजार रुपये लिये हैं, उन दिनों जातिगत गुटों के अंदर दो परिवारों के बीच परस्पर बातचीत द्वारा शादियों में ऐसा चलन था, इस तरह का लेन-देन परिवार वाले खुशी से करते थे, हालांकि नीतीश के पिता को इस बात का संदेह रहा होगा, कि उनका बेटा इसके लिये हामी नहीं भरेगा, उन्होने नीतीश के पीठ पीछे दहेज लिया।

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पिता के खिलाफ विद्रोह
नरेन्द्र सिंह ने बताया कि जब उन्हें इस बात का पता चला तो वो नाराज हो गये, वो तुरंत बख्तियारपुर जाकर अपने पिता से इस बारे में सवाल-जवाब करना चाहते थे, वो शादी रद्द कर देंगे, वो एक तिपहिया वाहन से बख्तियारपुर पहुंचे, वहां पिता से कहा कोई दहेज नहीं, एक पैसा भी नहीं, इस तरफ या उस तरफ से कोई उपहार नहीं, कोई रीत-रिवाज नहीं, कोई जश्न या समारोह नहीं, विवाह पटना रजिस्ट्रार ऑफिस में होगा, यानी कोर्ट मैरिज होगी, अन्यथा विवाह की बात खत्म समझी जाए। वैद्य रामलखन ने नीतीश के दूत को समझाने की कोशिश की, दहेज स्वीकार करना कोई बड़ी बात नहीं है, ये कोई बड़ी रकम भी नहीं थी, वधू के परिवार ने खुशी से ये रकम दी थी, अब अगर वो दहेज की रकम लौटाने जाते हैं, तो उन्हें खुद कितनी परेशानी से गुजरना पड़ेगा, नरेन्द्र सिंह ने ये सारी बातें नीतीश को बता दी, जिसके बाद उन्हें फिर सियोदा भेजा गया, जहां पर कृष्णनंदन सिंह ने नरेन्द्र से कहा कि उन्हें नीतीश के इतने पक्के विचारों की जानकारी नहीं थी, वो समझते थे कि नया-नया लड़का है, मान जाएगा, या फिर उसे मना लिया जाएगा, अब चूंकि नकदी की हस्तांतरण हो चुका है, इसके बारे में हो हल्ला या शिकायत करने का कोई अर्थ नहीं है, ये हमारी प्रथा है, जाकर उसे कह दो कि यहां सब ठीक है, हमने जो दिया है, खुशी से दिया है, हम खुश हैं।

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चर्चा का विषय बने नीतीश
नरेन्द्र सिंह ने अपना सिर झटका और संदेश का दूसरा भाग सियोदा के प्रधानाध्यापक को सुना दिया, दहेज स्वीकार ना करने के अलावा मेरे दोस्त ने एक और शर्त रखी है, कोई समारोह, अनुष्ठान या रीति-रिवाज नहीं मनाया जाएगा, ये एक कोर्ट मैरिज होगी, उसने कहा कि आप इस पर विचार करें, क्या आप अपनी बेटी की ऐसी शादी की लिये तैयार हैं, वो एक समाजवादी राम मनोहर लोहिया का अनुयायी हैं, वो अपना जीवन भिन्न नियमों के मुताबिक जीता है, नीतीश का दहेज से खुलेआम इंकार करना सनसनीखेज चर्चा का विषय बन गया, उस समय के एक उभरते पत्रकार जुगनू शारदेय ने धर्मयुग के लिये नीतीश का इंटरव्यू लेने का मन बनाया, वो जानना चाहते थे कि बिहार के युवाओं के मन में महिलाओं, शादी, और समाज के बारे में यदि कोई ने विचार, नई धारणाएं जन्म ले रही है, तो वो क्या है, तब नीतीश ने दहेज तथा आडंबरपूर्ण शादी का विरोध किया, उन्होने कहा कि महिलाओं को चाहिये कि वो स्वयं को शिक्षित करे, व्यवसायी बनें, सिर्फ घर एवं चूल्हे-चौकों तक खुद को सीमित ना रखे।