11 महीने जेल भी काट चुके हैं रजत शर्मा, एकदम फिल्मी है कहानी, संघर्ष से हासिल किया मुकाम

रजत शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1957 को दिल्ली के सब्जी मंडी क्षेत्र में हुआ, इनके परिवार में 6 भाई और एक बहन थी, वो पिता-पिता के साथ एक छोटे से कमरे में रहते थे।

New Delhi, Aug 11 : रजत शर्मा को आज कौन नहीं जानता, जो शख्स टीवी पर दैनिक रुप से खबरें देखता है, वो जरुर उनके नाम से वाकिफ होगा, रजत देश के एक चर्चित जर्नलिस्ट और इंडिया टीवी के संपादक तथा चैयरमैन हैं, रजत शर्णा न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट भी हैं, ज्यादातर लोग उन्हें उनके शो आप की अदालत के कारण जानते हैं।

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चुभते सवाल
रजत शर्मा चुभते सवाल भी मुस्कुरा कर पूछते हैं, वो अपने शो में आने वाले लोगों पर कभी भी जवाब के लिये दबाव नहीं बनाते, यही उनकी पहचान है, आज हम आपको उनके निजी जीवन के बारे में बताते हैं, रजत की कहानी काफी प्रेरणादायक है, वो एक कमरे के मकान में पैदा हुए, लेकिन आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, उनकी सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी फैन फॉलोइंग है।

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गरीबी में गुजरा बचपन
रजत शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1957 को दिल्ली के सब्जी मंडी क्षेत्र में हुआ, इनके परिवार में 6 भाई और एक बहन थी, वो पिता-पिता के साथ एक छोटे से कमरे में रहते थे, रजत जब छोटे थे, तो उस दौर में कम ही लोगों के घरों में टीवी होता था, रजत का परिवार तो बहुत गरीब था, लेकिन बच्चों को टीवी देखना पसंद होता है, तो रजत शर्मा पड़ोस में किसी के घर टीवी देखने जाते थे, उस समय दूरदर्शन पर फिल्म आती था, पहला भाग शनिवार को और दूसरा भाग रविवार को, शनिवार को वो पड़ोसी के घर मनोज कुमार की फिल्म शहीद का एक भाग देखकर आये, बड़ी बेसब्री से रविवार का इंतजार था, जब रविवार को पड़ोसी के घर गये, तो उन्होने दरवाजा बंद कर लिया था, रजत वो फिल्म बिना देखे लौटे, वो रोते हुए घर वापस आये। बेटे को रोते देख उनके पिता ने पूछा कि क्या कारण है, तो उन्होने पूरी बात बताई, तब उनके पिता ने कहा बेटा तुम किसी दूसरे को टीवी पर देखने के लिये तीसरे के घर जाते है, अगर तुममें दम है, तो तुम खुद कुछ ऐसा करो, कि तुझे टीवी पर देखने के लिये लोग आये। ये बात रजत शर्मा के दिलो-दिमाग पर छप गई, वो कठिन मेहनत करके यहां तक पहुंचे, अब उनके साथ टीवी पर बड़े-बड़े हीरो से लेकर, एक्टर और बिजनेसमैन तक दिखते हैं।

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स्कूली शिक्षा
रजत शर्मा के घर में ना तो बिजली की सुविधा थी और ना ही पानी की, उन्हें छोटी सी उम्र में समझ आ गया था कि गरीबी से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है पढाई, इसलिये रजत सब्जी मंडी के पास वाले रेलवे स्टेशन के लैंप पोस्ट के नीचे बैठकर पढते थे। वो बचपन से ही पढाई में होशियार थे, लेकिन पैसों की हमेशा तंगी रही, 1971 में उन्होने करोलबाग के रामजस कॉलेज से एडमिशन लिया, कॉलेज वो पैदल ही आया-जाया करते थे, फिर 1974 में उन्होने कॉमर्स की पढाई के लिये श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में एडमिशन लिया, अभी भी उनकी तंगहाली चल रही थी, इसी कॉलेज में पहली बार अरुण जेटली ने उन्हें फीस देने में मदद की, बाद में दोनों की दोस्ती हो गई, अरुण जेटली देश के वित्त मंत्री रहे हैं। हालांकि वो अब इस दुनिया में नहीं हैं।

11 महीने जेल
रजत शर्मा पढाई में होशियार थे, इसके अलावा उनको बहस करने, वाद-विवाद करने तथा जबरदस्त भाषण देने में भी महारत हासिल थी, इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में वो भी जुड़े हुए थे, 1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें 11 महीने जेल में रहना पड़ा।