आशुतोष का जीवन परिचय, कभी कांशीराम ने इस बात को लेकर लगाया था चांटा

यूपी के बनारस में पैदा हुए आशुतोष गुप्ता (सिर्फ आशुतोष ही लिखते हैं) ने जेएनयू से पढाई की है, उन्होने कई मीडिया संस्थान के साथ काम किया, 2014 में राजनीति में आने से पहले वो आईबीएन-7 के मैनेजिंग एडिटर थे।

New Delhi, Sep 10 : पूर्व राजनेता तथा पत्रकार आशुतोष वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, इन दिनों वो सत्य हिंदी नाम से एक मीडिया संस्थान चलाते हैं, इसके साथ ही तमाम टीवी न्यूज चैनलों पर राजनीतिक विश्लेषक के रुप में नजर आते हैं। आशुतोष पत्रकारिता छोड़ आम आदमी पार्टी से जुड़े थे, चुनाव भी लड़े, हालांकि फिर उनका राजनीति से मोहभंग हो गया, जिसके बाद वो राजनीति छोड़ वापस पत्रकारिता में आ गये।

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उनकी जिंदगी पर एक नजर
यूपी के बनारस में पैदा हुए आशुतोष गुप्ता (सिर्फ आशुतोष ही लिखते हैं) ने जेएनयू से पढाई की है, उन्होने कई मीडिया संस्थान के साथ काम किया, 2014 में राजनीति में आने से पहले वो आईबीएन-7 के मैनेजिंग एडिटर थे, इससे पहले 2012 में अन्ना आंदोलन के दौरान आशुतोष ने एंटी कररप्शन मूवमेंट को लगातार कवर किया था, जिस दौरान उनकी अरविंद केजरीवाल से नजदीकियां बढी थी, आशुतोष ने अन्ना आंदोलन के 13 दिन पर किताब भी लिखी है।

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कांशीराम ने मारा था थप्पड़
आशुतोष को 1996 में तब एक बड़ी पहचान मिली थी, जब उनके किसी सवाल से झुंझलाकर दलित नेता कांशीराम ने उन्हें थप्पड़ लगा दिया था, इसे लेकर कांशीराम की खूब आलोचना हुई थी, चैनलों पर बार-बार वीडियो दिखाया गया, एक रिपोर्टर के रुप में आशुतोष को लोग पहचानने लगे, फिर वो एंकर के रुप में भी मशहूर हो गये।

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2014 में चांदनी चौक से लड़ा था चुनाव
2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आशुतोष केजरीवाल की पार्टी में शामिल हुए, पार्टी ने उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़वाया, हालांकि वो हार गये, जिसके बाद उन्होने आप प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाली, कई मौकों पर पार्टी के लिये संघर्ष भी करते दिखे, लाठियां भी खाई, लेकिन माना जाता है कि राज्यसभा नहीं भेजे जाने के बाद के केजरीवाल से दूर होने लगे, केजरीवाल ने उन्हें दरकिनार कर दो कारोबारियों को राज्यसभा भेज दिया, जिसके बाद उन्होने भी पार्टी से किनारा करने का फैसला लिया, आशुतोष की पत्नी का नाम मनीषा है, जो डीयू में प्रोफेसर हैं। आशुतोष ने खुद ही बताया था कि 2014 में जब उन्होने आईबीएन 7 छोड़ा था, तब उनकी सैलरी करीब 5 लाख रुपये थी।

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