पिता चलाते थे ढाबा, खुद शादियों में नाचती थी, किन्नर प्रत्याशी बॉबी की संघर्ष भरी दास्तां

38 वर्षीय बॉबी ने कहा कि उन्हें जीवनभर अपमान का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसकी वजह से उन्होने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा, उन्हें उम्मीद है कि ट्रांसजेंडर लोगों को एक दिन समाज में महत्व तथा सम्मान जरुर मिलेगा।

New Delhi, Nov 15 : दिल्ली नगर निगम चुनाव में पहली ट्रांसजेंडर उम्मीदवार बॉबी चुनावी ताल ठोक रही है, केजरीवाल की पार्टी आप ने इन्हें मैदान में उतारा है, राजनीति में कदम रखने से पहले वो एक सोशल वर्कर थी, लेकिन उनका बचपन बेहद संघर्ष भरा रहा है, ट्रांसजेंडर होने की वजह से स्कूल तथा पड़ोस के लोग उन्हें चिढाते और परेशान करते थे, इन सब वजहों से ना सिर्फ उन्हें स्कूल बल्कि अपना घर भी छोड़ना पड़ा था।

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अलग व्यवहार
बॉबी जब तक ये समझ पाती कि वो ट्रांसजेंडर है, तो लोगों ने उनके साथ अलग तरह से व्यवहार करना शुरु कर दिया, उन्हें परेशान किया, धमकाया, उनके बचपन की यादों में सिर्फ ऐसी ही बातें हैं, आज सुल्तानपुर माजरा के निवासियों में उनकी पहचान बॉबी डार्लिंग के रुप में है, उनकी जिंदगी में बदलाव तब आया, जब एक ट्रांसजेंडर समुदाय के गुरु ने उन्हें गोद ले लिया, तब बॉबी 14-15 साल की थी।

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जीवनभर किया अपमान का सम्मान
38 वर्षीय बॉबी ने कहा कि उन्हें जीवनभर अपमान का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसकी वजह से उन्होने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा, उन्हें उम्मीद है कि ट्रांसजेंडर लोगों को एक दिन समाज में महत्व तथा सम्मान जरुर मिलेगा, बॉबी ने कहा मुझे पता है कि ट्रांसजेंडर और क्वीर लोगों को अभी भी नीची नजरों से देखा जाता है, उन्हें समान अवसर नहीं मिलते हैं, बहुत कुछ करना है, लेकिन ये पहला कदम है। बॉबी पहले डांसर थी, शादियों तथा जन्मदिन जैसे आयोजनों में डांस करती थी, फिर एक सामाजिक कार्यकर्ता बनीं, अब राजनीति में उतर रही है, अपने सफर को याद करते हुए उन्होने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा उन्हें बचपन में स्कूल छोड़ना पड़ा था, उनके माता-पिता उनसे बेहद प्यार करते थे, लेकिन उन पर भी समाज का दबाव था, जब मैं करीब 14-15 साल की थी, तो मुझे मेरे गुरु ने अपनाया, अब वो नहीं रहे, उन्होने मुझे आश्रय और प्रेम दिया, वहां मुझे मेरे जैसे लोग मिले, मुझे घर जैसा महसूस हुआ, एमसीडी चुनावी मैदान में उतरने वाली बॉबी पहली ट्रांसजेंडर उम्मीदवार है, आप ने उन्हें एससी-10, 43ए सुल्तानपुर माजरा सीट से टिकट दिया है।

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पिता चलाते थे ढाबा
बॉबी जब 21-22 साल की थी, तो एक एनजीओ से जुड़ गई, पढाई-लिखाई भी की, इसके बाद वो एक सामाजिक कार्यकर्ता बन गई, वंचित तथा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये काम करने लगी, बॉबी ने बताया कि वो अभी भी अपने परिवार के संपर्क में है, उन्होने कहा हां मेरी मां हमेशा मुझसे प्यार करती थी, अब भी करती है, मेरा एक छोटा भाई है, जो निजी क्षेत्र में काम करता है, मेरे पिता छोटा ढाबा चलाते थे, जो अब नहीं रहे, मेरी मां ने हमें पालने के लिये काफी काम किया है, मैं उनसे महीने में एक बार मिलती हूं, उनके साथ समय बिताती हूं, वो चुनाव में मेरे लिये प्रचार भी करेंगी। उन्होने बताया कि वो अन्ना आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल से मिली थी, उनके विचारों से काफी प्रभावित हुई, तभी से आम आदमी पार्टी से जुड़ी हुई है, मुझे उम्मीद है कि एक दिन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये नागरिक, विधानसभा और लोकसभा चुनाव तथा संसद में भी आरक्षण होगा, मैं माता-पिता से अनुरोध करती हूं, कि वो अपने बच्चों के साथ समान व्यवहार करें, अगर मैं चुनाव लड़ सकती हूं, तो अन्य ट्रांसजेंडर भी डॉक्टर इंजीनियर बन सकते हैं। बॉबी ने आगे कहा अगर वो चुनाव जीतती है, तो उनकी प्राथमिकता उचित स्वच्छता, क्षेत्र को कचरा मुक्त बनाना, खुले सीवरों की मरम्मत कराना होगा, उन्होने कहा कि उनके वार्ड में ट्रांसजेंडरों के लिये कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं है, वो इसका भी इंतजाम करेगी।