बेहद प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी, वेटर से IAS तक का सफर

जयगणेश ने अपने गांव के स्कूल में 8वीं तक की पढाई की, दसवीं पूरी करने के बाद उन्होने पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लिया, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि पास होते ही नौकरी मिल जाएगी।

New Delhi, Nov 25 : कई लोगों को मजबूरी या जिम्मेदारी की वजह से अपने सपने को छोड़ना पड़ता है, क्योंकि उन्हें पूरा करने का सौभाग्य उनके पास नहीं होता, लेकिन कुछ लोग जिद के आगे कुछ नहीं समझते, आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताएंगे, जिन्होने वेटर से आईएएस अधिकारी तक का सफर तय किया है।

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आईएएस अधिकारी जय गणेश
जी हां, हम बात कर रहे हैं आईएएस अधिकारी जय गणेश की, IAS UPSC जिन्होने अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिये अलग-अलग जगह काम किया, अपने आईएएस के सफर के दौरान जयगणेश को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं हारी, अपने लक्ष्य को हासिल किया।

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साधारण परिवार में जन्म
वेल्लोर जिले के विनावमंगलम के एक छोटे से गांव में के जयगणेश का जन्म हुई, उनके पिता फैक्ट्री में काम करते थे, किसी तरह परिवार का खर्च चलता था, जयगणेश हमेशा अपने गांव के लोगों की दयनीय स्थिति के बारे में सोचते थे, उनके गांव के लोग गरीब थे, और वो अपने गांव के लोगों की मदद करना चाहते थे।

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गांव से पढाई
जयगणेश ने अपने गांव के स्कूल में 8वीं तक की पढाई की, दसवीं पूरी करने के बाद उन्होने पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लिया, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि पास होते ही नौकरी मिल जाएगी, वहां उन्होने 91 फीसदी नंबरों के साथ परीक्षा पास की, फिर तांठी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई की, पढाई पूरी करने के बाद उन्हें एक कंपनी में नौकरी मिल गई, जहां उन्हें 2500 रुपये सैलरी मिलती थी, उसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि इस सैलरी से परिवार चलाना आसान नहीं है, दूसरी ओर वो भी आईएएस का ख्वाब देख रहे थे, इसलिये उन्होने नौकरी छोड़ दी, यूपीएससी की तैयारी में लग गये, के जयगणेश ने सिविल सेवा परीक्षा को चुना था, लेकिन इस सफर को पूरा करना आसान नहीं था, 6 बार सिविल सेवा परीक्षा में फेल हुए, लेकिन हार नहीं मानी, इसी बीच उनका चयन इंटेलिजेंस ब्यूरो की परीक्षा के लिये हो गया, उनके लिये ये तय करना मुश्किल था कि वो अपना संघर्ष छोड़कर नौकरी चुनें या सातवीं बार यूपीएससी परीक्षा दें, आखिरकार उन्होने यूपीएससी को चुना, उनकी मेहनत रंग लाई, उन्होने 156वां रैंक हासिल किया और आईएएस अधिकारी बन गये।