शुभमन, सरफराज और पृथ्वी की कहानी, पिता के संघर्ष ने यहां तक पहुंचाया, मां की मौत भी नहीं टूटने दिया हौसला

ये सभी युवा हैं, इनको चैंपियन बनाने में पिता ने बड़ा रोल निभाया, छोटी उम्र से ही इन तीनों के लिये घंटों मेहनत करना आम बात है, वो दूसरे बच्चों की तरह दूसरे कामों में बिजी नहीं रहे।

New Delhi, Jan 21 : शुभमन गिल ने सिर्फ 23 साल की उम्र में वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगा दिया, तो सरफराज एक के बाद एक शतक ठोककर औसत के मामले में सिर्फ डॉन ब्रैडमैन से पीछे हैं, पृथ्वी शॉ डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने के बाद फिर से टीम इंडिया में वापसी को तैयार हैं, इन तीनों खिलाड़ियों की यहां हम चर्चा इसलिये कर रहे हैं, क्योंकि ये सभी युवा हैं, इनको चैंपियन बनाने में पिता ने बड़ा रोल निभाया, छोटी उम्र से ही इन तीनों के लिये घंटों मेहनत करना आम बात है, वो दूसरे बच्चों की तरह दूसरे कामों में बिजी नहीं रहे, पृथ्वी की बात करें, तो उन्होने सिर्फ 4 साल की उम्र में मां को खो दिया, इसके बाद पिता ने बेटे के क्रिकेट करियर के लिये अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया।

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शुभमन गिल
सबसे पहले बात शुभमन गिल की, जिन्होने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले वनडे में दोहरा शतक लगाया, उनके पिता आज भी परिवार के कार्यक्रम को याद करते हुए कहते हैं कि वो नहीं चाहते थे कि shubman gill12 उनके बेटे की ट्रेनिंग में किसी तरह का गैप आये, शुभमन भी क्रिकेट को लेकर बचपन से उतने ही जूनूनी थी, 4 साल की उम्र में सोने के लिये जाते थे, तो तकिये के पास बल्ला रखते थे, पिता ने उनके क्रिकेट के शौक को पूरा करने के गांव तक छोड़ दिया, पिता हालांकि शुभमन के दोहरे शतक से ज्यादा खुश नहीं दिखे, उन्होने कहा वो श्रीलंका के खिलाफ भी ऐसा कर सकता था, लेकिन अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर  नहीं बदल सका।

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पृथ्वी को सुबह 4.30 बजे उठना पड़ता
पृथ्वी शॉ ने बचपन में ही मां को खो दिया था, उन्हें ट्रेनिंग पर जाने के लिये रोजाना सुबह 4.30 बजे उठना होता था, उससे पहले पिता घर के सारे काम करते थे, उन्होने अपने रेडिमेड कपड़ों के काम को बंद कर दिया, prithvi shaw ताकि बेटे को भीड़भाड़ वाले विरार से लोकल ट्रेन में अकेले ट्रेवल नहीं करना पड़े, पृथ्वी ने जूनियर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है, उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने अंडर-19 विश्वकप भी जीता, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार शुरुआत के बाद वो टीम से बाहर हो गये, एक बार फिर से नई शुरुआत करने को तैयार हैं, उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिये टीम में जगह मिली है।

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रोजाना 400 से 600 गेंद खेलते
सरफराज खान की कहानी भी इससे अलग नहीं है, सरफराज को रोजाना 400 से 600 गेंद खेलनी होती, उनके पिता नौशाद ने ये कठिन चैलेंज अपने बेटे को दिया था, वो बेटे को हमेशा पसीना बहाने के लिये कहते थे, सरफराज पिछले तीन रणजी सीजन से लगातार रन बना रहे हैं, उनका औसत 80 के करीब है, इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए नौशाद ने बताया कि जब सरफराज छोटे थे, तो ज्यादातर सचिन तेंदुलकर के बेटे के साथ क्रिकेट खेलते थे, एक दिन बेटे ने कहा अब्बू अर्जुन कितना नसीब वाला है, वो सचिन सर का बेटा है, उसके पास कार, आई-पैड सबकुछ है, पिता ने विनम्रता से सिर हिलाया, फिर एक दिन सरफराज उनके पास दौड़ता आया और गले लगकर कहा, मैं उससे ज्यादा भाग्यशाली हूं, आप मुझे पूरा दिन देते हैं, जबकि उसके पिता उसे समय नहीं दे पाते।