
मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक और नया केस दर्ज, भ्रष्टाचार का आरोप, जानिये मामला

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर जांच करने की मंजूरी दे दी है, दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट के गठन और उसमें की गई अवैध नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर ये मंजूरी दी गई है।
New Delhi, Mar 16 : दिल्ली शराब घोटाला केस में जेल में बंद आप नेता तथा पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने एक और केस दर्ज किया है, फीडबैक यूनिट के गठन तथा नियुक्तियों में करप्शन का आरोप मनीष सिसोदिया पर है, मनीष के खिलाफ सीबीआई ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है, ये मामला फीड बैक यूनिट के गठन से जुड़ा है, सीबीआई ने गृह मंत्रालय से मिली मंजूरी के बाद सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया केस दर्ज कर लिया है, मामले में सीबीआई ने प्राथमिक जांच नवंबर 2016 में शुरु की थी, फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार ने फीडबैक यूनिट बनाई थी, अब एक और केस दर्ज होने के बाद मनीष सिसोदिया की मुश्किलें और बढ सकती है।
एफबीयू के गठन में ऐसे हुआ करप्शन
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर जांच करने की मंजूरी दे दी है, दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट के गठन और उसमें की गई अवैध नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर ये मंजूरी दी गई है, सीबीआई ने नवंबर 2016 में एफआईआर दर्ज करके अपनी जांच शुरु की, तो पाया कि फीडबैक यूनिट के गठन में करप्शन किया गया, नियमों को ताक पर रखकर फीडबैक यूनिट बनाई गई, सीबीआई ने ये जांच तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी विजिलेंस दिल्ली सरकार केएस मीणा की शिकायत पर शुरु की थी।
भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिये बनी थी यूनिट
दिल्ली सरकार ने फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार तथा कामकाज पर निगरानी रखने के लिये फीडबैक यूनिट का गठन किया था, जिसके गठन के लिये दिल्ली सरकार की कैबिनेट मीटिंग में 29 सितंबर 2015 को मंजूरी दी गई थी, इसके बाद तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस ने 28 अक्टूबर 2015 को दिल्ली के सीएम को फीटबैक यूनिट नजर का प्रपोजल दिया, जिसे मंजूर किया गया था।
नियमों को ताक पर रखा
इस यूनिट में शुरुआत में 20 भर्तियां होनी थी, जिसके लिये दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग की 22 पोस्ट को खत्म करना था, लेकिन बाद में दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो में 88 पोस्ट में 20 भर्तियां फीडबैक यूनिट में करने की बात हुई, क्योंकि एसीबी भी विजिलेंस विभाग के अंतर्गत काम करता है, हालांकि एसीबी में जिन 88 पदों पर भरने की बात हो रही थी, उसका भी सिर्फ प्रस्ताव था, एलजी की ओर से मंजूरी नहीं ली गई थी।