उधार के बैट से IPL में धूम मचाने तक, दिलचस्प है बिजली मिस्त्री के बेटे की कहानी

आईपीएल 2022 में वानखेड़े में सीएसके के खिलाफ मैच जीतने के बाद इस बल्लेबाज ने हाथ जोड़कर जश्न मनाया, तिलक का इशारा उनकी कोच की ओर था, जो स्टैंड से मैच देख रहे थे।

New Delhi, Apr 03 : 2023 के शुरुआत में रविन्द्र जडेजा ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर तिलक वर्मा के साथ एक तस्वीर पोस्ट की थी, साथ ही कैप्शन में लिखा था भारत के भविष्य के साथ चिल करते हुए, तिलक ने मुंबई इंडियंस के साथ आईपीएल में प्रभावशाली शुरुआत की है, तिलक ने पिछले साल आईपीएल के अपने पहले सीजन में 131.02 के स्ट्राइक रेट से 397 रन बनाये, 2017 में ऋषभ पंत के 366 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। तिलक वर्मा ने सुनील गावस्कर से लेकर रोहित शर्मा तक को प्रभावित किया है, दोनों का कहना है कि वो भारत के ऑल फार्मेट बल्लेबाज हो सकते हैं, गावस्कर को जिस चीज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो उनका स्वाभाव है।

Advertisement

2023 के पहले मैच में नाबाद 84 रन
आईपीएल 2023 के पहले मैच में उन्होने आरसीबी के खिलाफ 46 गेंदों में नाबाद 84 रनों की तूफानी पारी खेली, तिलक के बचपन के कोच सलाम बयाश को लगता है कि उनके शिष्य को इस फॉर्म को जारी रखना चाहिये, क्योंकि ये उन्हें भारत के लिये खेलने के उनके सपने के करीब ले जाएगा। सलाम बयाश ने एक शाम अपने दोस्तों के साथ टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते बायें हाथ के बल्लेबाज तिलक वर्मा को देखा था, वो उनकी बल्लेबाजी शैली से हैरान थे, तब तिलक सिर्फ 11 साल के थे।

Advertisement

कोच रह गये थे हैरान
सलाम बयाश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैंने पहली बार तिलक वर्मा को बरकस मैदान पर देखा, वहां वो अपने दोस्तों के साथ टेनिस बॉल क्रिकेट खेल रहे थे, मैंने उनसे पूछा कि वो कहां ट्रेनिंग करते हैं, तो उन्होने बताया कि सिर्फ उसी मैदान पर खेलते हैं, तो मैंने उनसे पिता से मिलने की इच्छा जाहिर की, मैंने उनके पिता से तिलक को एकेडमी में दाखिल कराने का अनुरोध किया, क्योंकि उसमें क्षमता थी, तिलक के पिता नम्बूरी नागराजू पेशे से बिजली मिस्त्री थे, वो अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए बेटे को क्रिकेट एकेडमी भेजने को लेकर इच्छुक नहीं थे, तो मैंने उनसे कहा कि मैं कोई फीस नहीं लूंगा, साथ ही ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी भी मेरी, जिस पर वो राजी हो गये।

Advertisement

बाइक की सवारी
जिस क्रिकेट एकेडमी में तिलक वर्मा ने ट्रेनिंग किया, वो हैदराबाद के पुराने शहर स्थित उनके घर चंद्रायन गुट्टा से करीब 40 किमी दूर लिंगमपल्ली में थी, लेकिन तिलक वर्मा ने शायद ही कभी एक दिन भी प्रैक्टिस छोड़ा हो, क्योंकि उनके कोच सलाम बयाश उन्हें रोजाना अपनी बाइक पर ले जाते थे। नम्बूरी नागराजू कहते हैं कि अगर सलाम बयाश नहीं होते, तो वो तिलक को कभी इतनी दूर नहीं भेजते, कोच ने कहा कि मुझे पर विश्वास करो, बेटे को मेरे पास छोड़ दो, आपका बच्चा बहुत प्रतिभाशाली है। उसके बाद हर दिन सलाम बयाश तिलक को सुबह 5 बजे उठाकर एकेडमी ले जाते थे, कभी-कभी वो बाइक पर ही उंघने लगता था, तो सलाम हंसते हुए कहते थे, बच्चा है, नींद आ जाती है, सलाम बयाश ने बताया कि एक साल बाद मैंने उनके पिता से एकेडमी के पास ही रहने का अनुरोध किया, ताकि इस यात्रा से बचा जा सके, पिता को एकेडमी के पास ही नौकरी मिल गई, जिसके बाद तिलक के बाइक से गिरने का डर भी चला गया।

आर्थिक बाधाएं
एकेडमी के करीब रहना एक बात थी, लेकिन तिलक के पास क्रिकेट के लिये किट नहीं थी, तिलक ने उधार के बैट से ही अपना पहला शतक लगाया, एक अच्छे बल्ले की कीमत 4-5 हजार रुपये होती है, लेकिन उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे, इसका भी समाधान कोच ने ही निकाला, उन्हें कहा खूब रन बनाओ, पुरस्कार जीतो, और मैं तुम्हें क्रिकेट के सामान दिलाऊंगा। 4 साल बाद तिलक का चयन विजय मर्चेंट ट्रॉफी के लिये हुआ, तिलक ने हैदराबाद के लिये 900 से ज्यादा रन बनाये, इसके बाद उन्हें हैदराबाद के रणजी ट्रॉफी संभावितों में चुना गया, 1 साल बाद 2019 में तिलक ने हैदराबाद के लिये रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया।

गुरु-शिष्य परंपरा
आईपीएल 2022 में वानखेड़े में सीएसके के खिलाफ मैच जीतने के बाद इस बल्लेबाज ने हाथ जोड़कर जश्न मनाया, तिलक का इशारा उनकी कोच की ओर था, जो स्टैंड से मैच देख रहे थे, सलाम बयाश ने उस जश्न के पीछे का रहस्य बताया। उन्होने कहा कि उस मैच से पहले वो अपना विकेट फेंक रहा था, मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया, इसलिये मैं वो मैच देख रहा था, उसने काम पूरा कर लिया, वो इशारा मेरी ओर था, वो पूछ रहा था कि क्या अब मैं खेल खत्म कर सकता हूं।