2000 नोट वापसी पर कस्टमर को होगा नुकसान, जानिये बैंक को क्या फायदा?

2000 रुपये के नोट चलन से हटने के कारण एफडी की बढती ब्याज दरों का दौर खत्म हो सकता है, इससे आपको सेविंग पर मिलने वाली ब्याज दर घटकर नीचे आ सकती है, इस समय एफडी की ब्याज दरें अपने शीर्ष पर है।

New Delhi, May 31 : आरबीआई की ओर से 2000 के नोट वापसी की घोषणा के बाद 23 मई से बैकों ने नोटों को बदलना तथा बैंक खाते में जमा करना शुरु कर दिया है, ये प्रक्रिया लगातार जारी है, कई रिपोर्ट में बताया गया कि 2000 के नोट खातों में जमा होने से बैंकों की लिक्विडिटी बढ गई है, एसबीआई की ओर से हालिया जारी आंकड़े के मुताबिक उसके पास 29 मई तक 2000 रुपये के 14 हजार करोड़ रुपये मूल्य के नोट पहुंच गये हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस सबका नुकसान आपको भी उठाना होगा।

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खत्म हो सकता है बढती ब्याज दर का दौर
जी हां, शायद ही आपने इस बारे में सोचा हो, लेकिन आपको बता दें कि 2000 रुपये के नोट चलन से हटने के कारण एफडी की बढती ब्याज दरों का दौर खत्म हो सकता है, इससे आपको सेविंग पर मिलने वाली ब्याज दर घटकर नीचे आ सकती है, Bank इस समय एफडी की ब्याज दरें अपने शीर्ष पर है, यदि आप भी एफडी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो ये समय एकदम सही है, आइये जानते हैं कि ब्याज दर में गिरावट आने के क्या कारण हो सकते हैं।

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बैंक की लिक्विडिटी बढने पर नीचे आएंगे रेट
आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब बैंकों के पास लोन की ज्यादा मांग होती है, तो इसे पूरा करने के लिये तथा पैसे हासिल करने के लिये बैकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, rupees इस स्थिति में बैंक पैसा प्राप्त करने के लिये एफडी की ब्याज दर को ज्यादा आकर्षक बनाते हैं, निवेशक उच्च ब्याज दर से आकर्षित होकर पैसा बैंकों में जमा करते हैं, इससे बैंक की लिक्विडिटी बढ जाती है, बैंक की लिक्विडिटी का आंकलन करने के लिये इंटरबैंक लोन देने की इस्तेमाल होने वाली ओवरनाइट कॉल मनी रेट को देखना है।

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12 मई को 7 फीसदी के हाई लेवल को टच किया
इस साल ओवरनाइट कॉल मनी रेट 29 मार्च तथा 27 अप्रैल को मैक्सिमम 6.90 फीसदी पर थी, इसने 6 मई को और 12 मई को 7 फीसदी के हाई स्तर को भी टच किया है, लेकिन 19 मई को 2000 रुपये के नोट वापसी की घोषणा के बाद ये गिरकर 6.45 फीसदी रह गई, rupees उसके बाद से ओवरनाइट कॉल मनी रेट 6.45 फीसदी से 6.55 फीसदी की लिमिट में बनी हुई है, इससे इशारा साफ है कि बैंकों के पास लिक्विडिटी की चुनौती दिन ब दिन कम हो रही है, बैंकों के लिक्विडिटी अच्छी रहेगी, तो उन्हें कर्ज देने के लिये पैसों का इंतजाम नहीं करना होगा।