इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में, लगेंगी आप को सदियां हमें भुलाने में

Amitabh Srivastav

इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में, लगेंगी आप को सदियां हमें भुलाने में

मंचीय कविता चुटकुलों में उनकेे दौर में ही बदलने लगी थी लेकिन नीरज की मौजूदगी कवि सम्मेलनों और मुशायरों की साख बचा लेती थी। उस मोर्चे के दिग्गजों में थे…
‘केदारनाथ सिंह को पढ़ना, पढ़ना भर नही होता , वो आपको किताब से बाहर निकाल कर कदम कदम पर चौंकाएंगे’

Chanchal

‘केदारनाथ सिंह को पढ़ना, पढ़ना भर नही होता , वो आपको किताब से बाहर निकाल कर कदम कदम पर चौंकाएंगे’

नामवर जी , केदार भाई , काशीनाथ सिंह दूधनाथ सिंह भाई विजय मोहन इनके अंदर का लेखक इसलिए भी मजबूत रहा कि इनका लेखकीय पुरुषार्थ त्रिलोचन की तरह सीना ताने…
कुदाल वाले केदार जी का बालू पर हवा के हस्ताक्षर सा हो जाना..चले जाना

Ravish Kumar

कुदाल वाले केदार जी का बालू पर हवा के हस्ताक्षर सा हो जाना..चले जाना

सामने सेल्फी लेने वालों की भीड़ थी, धक्का मुक्की हो रही थी मगर मैं सिर्फ केदारनाथ सिंह को महसूस कर रहा था। New Delhi, Mar 20 : मेरे आस-पास साहित्य…

OM Thanvi

मर्मस्पर्शी भावों को अनाथ कर गए केदारनाथ

केदारनाथ सिंह : आज दिन में मैंने एक कविता बार-बार उनकी याद आने पर पोस्ट की। पर एक कविता अपने साथी पत्रकार प्रदीप पांडेय को सुनाई। उसे तब पोस्ट नहीं…