पत्रकारिता को हांफते और कांपते देख रही हूं, फिर भी उम्मीद नयी पीढी से है- Nivedita Shakeel

Nivedita Shakeel

पत्रकारिता को हांफते और कांपते देख रही हूं, फिर भी उम्मीद नयी पीढी से है- Nivedita Shakeel

मैं उनलोगों में से नहीं हूँ जो हमेशा अपने दौर को स्वर्णिम कहा करते हैं . हमारे समय में भी और उसके पहले भी पत्रकारिता ने कई बार समझौता किया…