इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन में भी उन्होने शानदार बल्लेबाजी की थी, जिसके बाद से ही इस बात की उम्मीद थी कि उन्हें जल्द ही टीम इंडिया से बुलावा आएगा।

New Delhi, Jul 06 : वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 टी-20 मैचों की सीरीज के लिये टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है, इसमें दो बायें हाथ के बल्लेबाज को जगह मिली है, एक यशस्वी जायसवाल तथा दूसरे हैदराबाद के तिलक वर्मा, तिलक के लिये ये किसी सपने के सच होने जैसा है, 11 साल की उम्र में शुरु हुआ क्रिकेट सफर अब टीम इंडिया तक पहुंच चुका है, तिलक को पहली बार भारतीय टी-20 टीम में जगह मिली है, आईपीएल 2023 में भी तिलक ने शानदार बल्लेबाजी की, रविन्द्र जडेजा और रोहित शर्मा जैसे धुरंधर खिलाड़ियों ने ये बात पहले ही कह दी थी कि तिलक टीम इंडिया का भविष्य हैं, अब ये बात सच साबित होती दिख रही है।

आईपीएल 2023 में प्रदर्शन
आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन में भी उन्होने शानदार बल्लेबाजी की थी, जिसके बाद से ही इस बात की उम्मीद थी कि उन्हें जल्द ही टीम इंडिया से बुलावा आएगा, तिलक वर्मा के क्रिकेट करियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में हुई थी, टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने के दौरान कोच सलाम बायश ने उनकी प्रतिभा को पहचाना था, जिसके बाद उनके क्रिकेट सफर की शुरुआत हुई।

मामूली परिवार से नाता
तिलक वर्मा का नाता मामूली परिवार से है, इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कोच सलाम बायश ने तिलक के क्रिकेटर बनने की कहानी साझा की, उन्होने कहा मैंने एक दिन उन्हें टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते देखा, मुझे उनकी बल्लेबाजी काफी पसंद आई, जिसके बाद मैंने उनके पिता से गुजारिश की, कि वो तिलक को क्रिकेट एकेडमी लेकर आये, क्योंकि तभी मुझे उसमें बड़े खिलाड़ी के गुण दिख गये थे। तिलक के पिता पेशे से इलेक्ट्रीशियन थे, घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो बेटे के क्रिकेट खेलने का खर्च उठा सके, ऐसे में वो तिलक को एकेडमी भेजने को राजी नहीं थे, जिसके बाद कोच सलाम बायश आगे आये, उन्होने तिलक की जिम्मेदारी ली, कहा कि वो खुद ही उसे घर लेने और छोड़ने आएंगे, इतना ही नहीं कोच ने पीस भी माफ कर दी थी, यहीं से तिलक के प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने के सफर की शुरुआत हुई, एकेडमी उनके घर से 40 किमी दूर था, लेकिन वो रोजाना ट्रेनिंग के लिये जाते थे।

उधार के बल्ले से शतक
खुद कोच सलाम बायश उन्हें सुबह 5 बजे ले जाते थे, बाइक पर बिठाकर एकेडमी जाते, तब तिलक की उम्र 11 साल थी, कई बार वो बाइक पर ही सोने लगते थे, तो कोच बाइक रोककर उनका हाथ-मुंह धुलवाते, कई महीनों तक ऐसा ही चलता रहा। शुरुआती दौर में तिलक के पास अच्छा बैट नहीं था, उन्होने ऐज ग्रुप एकेडमी में अपना पहला शतक भी उधार के बल्ले से ही ठोका था, इतने संघर्षों के बाद तिलक ने सफलता हासिल की है।

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