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इस बकरीद होगी ‘सलमान’ और ‘शाहरुख’ की कुर्बानी, ये लखनऊ है जनाब

लखनऊ में बकरीद कभी मनाने का मौका मिले तो आप समझ जाएंगे कि क्यों इसे नवाबों का शहर कहा जाता है। यहां की फिजा में नवाबियत घुली है, भाषाई लहजा तो माशाअल्लाह है

New Delhi, Sep 01: लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है, नवाब तो खैर नहीं रहे लेकिन उनका असर और नवाबियत आज भी लखनऊ की फिजां में है। लखनऊ कई कारणों से मशहूर है, देश के सबसे बड़े सियासी सूबे की राजधानी है, तो वहीं आमों की अलग अलग किस्मों के लिए मशहूर मलीहाबाद भी लखनऊ में ही आता है। लखननऊ के नवाबी खाने की लज्जत को सालों तक याद रहती है. दिक्कत ये है कि लखनऊ के खान पान को केवल टुंडे कबाबी से जोड़कर पेश किया जाता है। जबकि हकीकत ये है कि लखनऊ में सड़क किनारे मिलने वाला स्वाद भी टुंडे को फेल कर सकता है। खैर येे तो लखनऊ के मिजाज की बात हुई।

त्यौहारों के मौके पर अगर आप लखनऊ में हैं तो समझिए आप भारत के सबसे खुशगवार शहर में हैं। यहां त्यौहार मनाने की परंंपरा जैसी है वैसी पूरे भारत में नहीं मिलेगी। हिंदू और मुसलमान का भेद शायद ही आपको कहीं दिखाई दे। ईद और बकरीद के मौके पर तो नवाबों की याद एक बार फिर से आ जाती है। खास तौर पर बकरीद के मौके पर तो जो बकरे बिकते हैं उनके नामो की चर्चा पूरे देश में होती है। इस बार भी बकरीद के मौके पर यहां शाहरुख से लेकर सलमान खान तक की कुर्बानी होगी। हैरान मत होईए जनाब, ये लखनऊ है,यहां पर कुछ भी हो सकता है।

बकरों के नाम फिल्मी सितारों के नाम पर रखे जाते हैं। और उनकी कीमत भी उसी हिसाब से तय होती है। इस बार यहां शाहरुख और सलमान की चर्चा बहुत ज्यादा है। इन दो बकरों की कीमत सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। इतनी शाहखर्ची लखनऊ वाले ही दिखा सकते हैं। शाहरुख और सलमान नाम के बकरों की कीमत अब तक 8 लाख रूपये लग चुकी है। बकरों के लिे ये बहुत ज्यादा कीमत है। लेकिन शाहरुख और सलमान के जो मालिक हैं उनकी डिमांड 11-12 लाख की है। उनको उम्मीद है कि वो मिल जाएगी। बकरा मंडी में ये दोनों तंदरुस्त और हट्टे कट्टे बकरे चर्चा और कौतुहल का विषय बने हुए हैं।

दोनों बकरों की कीमत सुनकर आप भी सोचने के लिए मजबूर हो गए होंगे अब इनकी परवरिश के बारे में बताते हैं। दोनों ही बकरे नफासत और नवाबी तबीयत के मुताबिल पाले गए हैं। इनकी देख रेख का पूरा इंतजाम रहता है। ये बकरे हर दिन पाव भर काजू और बादाम खाते हैं। गर्मी न लगे इसके लिए कूलर का इंतजाम भी किया गया है। यहां तक कि खाना भी इनकी पसंद का ही दिया जाता है। दोनों बकरों के मालिक गर्व से कहते हैं कि ये दोनों बकरे उसके पसंदीदा हैं, वो इनको अपनी कीमत पर ही बेचेगा। तो जनाब ये लखनऊ है, यहां कि फिजा में नवाबियत है। भाषा से लेकर खान पान और त्यौहार मनाने का अंदाज, ये लखनऊ की पहचान है. तभी तो कहते हैं कि मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं।

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