New Delhi Sep 04 : बहुत ही अफसोस की बात है कि इस वक्त गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत पर राजनीति हो रही है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने योगी आदित्यनाथ की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। हर किसी की कामना होती है कि किसी भी बच्चे की मौत ना हो। लेकिन, भ्रष्ट सिस्टम और लापरवाह तंत्र ना जाने कितनों की मौत की वजह बन जाता है। आज गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जिन बच्चों की मौत पर समाजवादी पार्टी या कहें अखिलेश यादव छाती पीट कर योगी आदित्यनाथ को कोस रहे हैं अगर वक्त रहते उन्होंने कुछ किया होता बच्चों की मौत का ये आंकड़ा बेहद कम होता। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि अखिलेश यादव के राज में सिर्फ पिछले साल ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 5850 बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज को लेकर यूपी सरकार के जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद ही चौंकाने वाले हैं। इसके साथ ही अखिलेश यादव की सरकार को कठघरे में भी खड़ा करते हैं कि आखिर उन्होंने अपने कार्यकाल में क्या किया। इन आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो पता चलेगा कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का ये आंकड़ा पिछले तीन साल में सबसे कम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में कुल 51 हजार 18 बच्चों को भर्ती कराया गया था। जिसमें 5850 बच्चे काल के गाल में समा गए। लेकिन, अखिलेश यादव की सरकार ने कुछ नहीं किया। कहीं कोई हंगामा नहीं हुआ। किसी को कुछ पता नहीं चला।
अब साल 2015 के ही आंकड़ों को देख लीजिए। इस साल यहां पर कुल 61 हजार 295 बच्चों को भर्ती किया गया। जिनमें 6917 बच्चों की जान चली गई। उन्हें नहीं बचाया जा सका। पिछले साल यानी साल 2016 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कुल 60 हजार 891 बच्चों को एडमिट कराया गया। इसमें 6121 बच्चों की मौत हो गई। सीधे शब्दों में समझिए और जानिए, साल 2014 में 5850 बच्चों की मौत हुई। 2015 में 6917 बच्चों की और साल 2016 में 6121 बच्चे मौत के मुंह में समा गए। यानी अखिलेश यादव के राज में इन तीन साल में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कुल 18888 बच्चों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़ा ना सिर्फ डराता है बल्कि पूर्व की सरकार के कामकाज पर सवाल भी खड़ा करता है।
अगर बच्चों की मौत पर अखिलेश यादव की सरकार वक्त रहते अपने वक्त में ही कुछ करती शायद इस साल ये मौतें भी ना होंती। लेकिन, अफसोस नेताओं ने बच्चों की मौत पर भी राजनैतिक रोटियां सेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस कह रही है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार बच्चों की मौतों को रोक पाने में असफल रही है। हम भी मानते हैं कि ऐसा हो रहा है। लेकिन, पिछले तीन साल के रिकॉर्ड ये बताने के लिए काफी हैं कि काफी सुधार हुआ है। हम फिर से ये कहना चाहते हैं कि अगर एक भी बच्चे की मौत सरकारी अस्पताल में लापरवाही से होती है तो जवाबदेही तय होनी चाहिए। लेकिन, कांग्रेस को अपने सहयोगियों से ये भी पूछना चाहिए कि आप लोगों ने क्या किया ? अखिलेश यादव को मौजूदा सरकार पर सवाल उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए कि मौतों को रोकने के लिए हमने क्या किया।
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