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‘दोगले’ चीन को भारत की नसीहत, सहमति का सम्‍मान करना सीखो

चीन एक बार फिर दोगलेपन पर उतर आया है। भारत की ओर से उसे नसीहत दी गई है और कहा गया है कि उसे आपसी सहमति का सम्‍मान करना चाहिए।

New Delhi Oct 13 : चीन और पाकिस्‍तान की नीयत एक जैसी है। दोनों की फितरत एक जैसी है। कब ये दोनों देश पलटी मार जाए पता ही नहीं चलता है। इसीलिए चीन और पाकिस्‍तान दोनों ही देशों के लिए दोगले शब्‍द का इस्‍‍तेमाल किया जाता है। इन पर भरोसे करने का मतलब है कि ये आपकी पीठ में खंजर जरूर घोपेंगे। लेकिन, भारत के हालात भी पहले जैसे नहीं रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार चीन और पाकिस्‍तान की रग-रग से वाकिफ है। शायद यही वजह है कि इंडियन आर्मी ने डोकलाम में चीनी सेना को पानी पिला था उसे पीछे हटने को मजबूर कर दिया था। इस मसले पर सहमति बनाने के लिए विवश कर दिया गया था। लेकिन, चीनी रूपी सांप डोकलाम में एक बार फिर से अपने फन फैला रहा है। जिसे कुचलना बहुत जरूरी है।

भारत ने चीन को नसीहत दी है कि वो सीमा मुद्दे पर बनी आपसी सहमति का ईमानदारी से सम्मान करे। दोनों ही पक्षों को इस मसले पर सही तरीके से अपनी-अपनी स्थिति पेश करनी चाहिए। सीधे शब्‍दों में कहें तो चीन एक बार फिर डोकलाम में विवाद के मूड में आता हुआ नजर आ रहा है। जिस एरिया में सड़क निर्माण को लेकर विवाद था बीजिंग वहां तो कुछ नहीं कर रहा है लेकिन, यहां से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर सड़क का निर्माण जरूर कर रहा है। इसके साथ ही अभी नौ अक्‍टूबर को चीन ने साल 1890 के यूके-चीन समझौते का जिक्र करते हुए एक बार फिर ये दावा कर दिया है कि इस इलाके पर उसका ही हक है। इस समझौते के तहत ही सिक्किम में भारत-चीन बॉर्डर को तय किया गया है।

चीन भारत को सलाह दे रहा है कि उसे इस तरह के ऐतिहासिक समझौते के प्रावधानों को मानना चाहिए। भारत ने भी उस पर पलटवार किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता रवीश कुमार ने कहा है कि ये बहुत जरूरी है कि सीमा विवादों को लेकर बनी आम सहमति का सम्‍मान किया जाए। वो भी पूरी ईमानदारी के साथ। मतलब साफ है कि बीजिंग आम सहमति से लिए गए फैसलों को ईमानदारी के साथ उसका निर्वाहन नहीं कर रहा है। सिक्किम के जिस हिस्‍से पर चीन अपना दावा कर रहा है वो आज भी विवादित ही है। हालांकि भारत का मानना है कि डोकलाम में यथास्थिति बनी हुई है। वहां पर कोई नई गतिविधि नहीं हुई है। 28 अगस्‍त वाली स्थिति ही बनी हुई है। फिर इस तरह की बातें कहां से निकल रही हैं।

भारत ने आम सहमति से लिए गए फैसलों का सम्‍मान करते हुए डोकलाम एरिया में तैनात इंडियन आर्मी के जवानों की वापसी का आदेश भी जारी कर दिया। ये काम एक महीने में पूरा हो जाएगा। अभी हाल ही में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सिक्किम बॉर्डर के नाथु ला इलाके का दौरा किया था। जिसमें उन्‍होंने चीनी सैनिकों को नमस्‍ते करना भी सिखाया था। रक्षा मंत्री के इस कदम से साफ है कि भारत बार्डर पर शांति चाहता है। लेकिन, ताली एक हाथ से नहीं बजती है। इसके लिए चीन को भी आगे बढ़ना होगा। चीन भारत के साथ जैसा बर्ताव करेगा उसे उसका रिएक्‍शन उसी तरह से मिलेगा। विवाद में बीजिंग को भी ये समझना होगा कि हालात 1962 वाले नहीं हैं। अब सेना भी मजबूत है और सरकार भी।

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