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भारत और ड्रैगन के बीच टकराव की नई जमीन तैयार, इस बार लंका में बजेगा डंका

भारत और चीन के बीच टकराव की नई जमीन तैयार हो रही है। ड्रैगन इस बार डोकलाम की कसर को पूरा करने की फिराक में है।

New Delhi, Oct 15: भारत और चीन के बीच विवाद डोकलाम को लेकर तो खत्म हो गया है, लेकिन अब एक नई जमीन तैैयार हो रही है, जहां पर दोनों देशों के बीच तनाव हो सकता है। दरअसल डोकलाम विवाद ने भारत और चीन पर पूरी दुनिया की निगाह लगा दी है। जिस तरह से चीन को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं, उस से चीन की काफी फजीहत हुई है। इतना ही नहीं चीन की विस्तारवादी नीतियों के बारे में पूरी दुनिया जान गई है, कई देशों ने चीन की निंदा भी की थी। डोकलाम विवाद में भारत विजेता बन कर निकला था। ये बात चीन को अभी तक चुभ रही है। वो डोकलाम का बदला लेने के लिए अब भारत के एक नए मोर्चे पर तनाव क्रिएट कर रहा है।

ड्रैगन ने भारत को घेरने के लिए चारों तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहा है। लेकिन हालात अब चीन के मुफीद नहीं दिख रहे हैं। दक्षिण एशिया में भारत चीन को टक्कर देने को तैयार है। अर्थव्यवस्था के साथ साथ सैन्य क्षमता में भी भारत चीन से किसी भी तरह से कम नहीं है। नया मामला जो दोनों देशों के बीच टकराव का कारण बन रहा है वो श्रीलंका से जुड़ा हुआ है। लंका में चीन ने एक पोर्ट लीज पर लिया है। ये भारत के लिए खतरे की बात साबित हो सकती है। इस पोर्ट के जरिए वो भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है. हालांकि श्रीलंका ने चीन से पोर्ट पर पनडुब्बी लगाने के लिए मना कर दिया है। श्रीलंका की कोशिश है कि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो जाएं।

ड्रैगन की दबंगई श्रीलंका ने कुछ ही दिनों में देख ली है, इसलिए वो इस एयरपोर्ट को भारत को देना चाहता है। खास बात ये है कि इसी एयरपोर्ट के पास में चीन द्वारा लीज पर लिया गया पोर्ट है। इस तरह से लंका चीन को काउंटर करने के लिए भारत का सहारा ले रहा है। हंबनटोटा में बने मताला राजपक्षे इंटरनैशनल एयरपोर्ट के निर्माण में चीन ने 190 मिलियन डॉलर की मदद की थी, जो कुल लागत का 90 फीसदी से भी ज्यादा है। अब ये एयरपोर्ट घाटे में चल रहा है। लंका सरकार चीन का कर्ज चुका पाने में नाकाम दिख रही है। उसके सामने विकल्प के तौर पर यही रास्ता बचा है कि वो इस एयरपोर्ट को भारत को सौंप दे, उसके बदले जो पैसा मिलेगा उस से वो चीन की रकम को आसान से चुका देगा।

हंबनटोटा का डीप सी बंदरगाह जिसे संचालित करने का अधिकार चीन ने हाल ही में 99 साल की लीज पर हासिल किया है। अगर भारत लंका के उस एयरपोर्ट को लेने के लिए तैयार हो जाता है तो एक बार फिर से चीन के साथ उसका टकराव बढ़ सकता है। चीन ये कभी स्वीकार नहीं कर पाएगा कि उसके बनाए एयरपोर्ट पर भारत का कब्जा हो जाए। इस से भारत को श्रीलंका में चीन पर नजर रखने में आसानी हो जाएगी। साथ ही ये एक बड़ी रणनीतिक जीत भी साबित हो सकता है। एक अनुमान के मुताबिक श्रीलंका पर 64.9 अरब डॉलर का कर्ज है इसमें चीन की भागीदारी 8 अरब ड़ॉलर की है। भारत की मदद से श्रीलंका चीन के कर्ज को उतार सकता है। बहरहाल अब देखना ये है कि भारत का इस पूरे प्रकरण पर क्या रुख रहता है।

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