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गुजरात में बीजेपी को मिल गई जीत की 5 चाभियां, फिर खुला सत्ता का दरवाजा

गुजरात में बीजेपी को जीत की 5 चाभियां मिल गई हैं। जिनके इस्तेमाल से वो फिर से सत्ता का दरवाजा खोल सकती है, बशर्ते कोई गड़बड़ ना हो।

New Delhi, Nov 04: गुजरात विधानसभा चुनाव में किस पार्टी की जीत होगी, ये कहना मुश्किल होता जा रहा है। कांग्रेस बेहद ही आक्रामक दिखाई दे रही है। राहुल गांधी के तेवर भी बदले बदले दिख रहे हैं। बीजेपी के खिलाफ हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर, जैसे युवा नेता भी दम भर रहे हैं। ऐसे में भाजपा की जीत की राह मुश्किल होती जा रही है। पिछले 22 साल से राज्य में भाजपा की सत्ता है। ऐसे में हम आपको वो पांच फैक्टर बता रहे हैं जो अगर सही से चल गए तो भाजपा की फिर से सत्ता वापसी पक्की हो जाएगी। छठी बार राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के लिए बीजेपी को इन पांच समीकरणों को साधना होगा।

सबसे पहले पाटीदार समाज को अपने पाले में करना होगा। 16 फीसदी पाटीदार वोटबैंक बीजेपी से नाराज दिख रहा है। हार्दिक पटेल ने पाटीदारों को आरक्षण के नाम पर जो आंदोलन चलाया था वो बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बन गया था। हार्दिक पटेलों के बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं। वो कांग्रेस के साथ मोलभाव कर रहे हैं तो वहीं पाटीदार आरक्षण संघर्ष समिति बीजेपी के साथ चली गई है। इस तरह से देखें तो पटेलों को मनाने में अगर बीजेपी पूरी तरह से सफल हो जाती है तो वो फिर से सत्ता पर काबिज हो सकती है। पाटीदारों के अलावा बीजेपी ओबीसी वर्ग को भी साधने की कोशिश कर रही है। पाटीदारों को आरक्षण नहीं दे कर बीजेपी ने ओबीसी वर्ग को एक तरह से अपने पाले में करने की कोशिश की है।

जीएसटी से राहत देना बीजेपी की तीसरी कोशिश हो सकती है। गुजरात की हवा में व्यापार है। जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य के व्यापारियों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारियों की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी ने जीएसटी के तहत कई राहत देने का फैसला किया था। अगर जीएसटी से नाराज व्यापारी वर्ग को बीजेपी मनाने में सफल रहती है तो वो फिर से राज्य की सत्ता हासिल कर सकती है। इसके लिए अरुण जेटली पूरी कोशिश कर रहे हैं। अभी तक जो राहत दी गई है उस से राज्य के व्यापारियों की नाराजगी कुछ हद तक कम हुई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री विजय रुपाणी जो जैन समाज से आते हैं, उनको आगे करके बीजेपी चुनाव में उतर रही है। जैन समाज मुख्य रूप से व्यापार से जुड़ा हुआ है। इसलिए विजय रुपाणी तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं।

सबसे आखिर में बीजेपी के लिए बुलेट ट्रेन का दांव सफल हो सकता है। अहमदाबाद से मुंबई बुलेट ट्रेन का शिलान्यास पीएम मोदी ने किया था। इस प्रोजेक्ट को बीजेपी भुनाने में लगी हुई है। मुंबई में शिवसेना बुलेट ट्रेन का विरोध कर रही है। शिवसेना जितना विरोध करेगी बीजेपी को उतना ही फायदा होगा। इसे गुजरात की अस्मिता से जोड़कर पेश किया जा रहा है। राज्य के विकास की नई तस्वीर बन सकती है बुलेट ट्रेन, इसलिए बुलेट ट्रेन को लेकर जिस तरह से विरोधी हमला कर रहे हैं वो बीजेपी के पक्ष में जा सकता है। तो ये वो पांच फैक्टर हैं जो अगर सही साबित होते हैं तो बीजेपी को राज्य की सत्ता में फिर से वापसी से कोई नहीं रोक सकता है।

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