New Delhi Nov 09 : आठ सितंबर को शुक्रवार का दिन था। हर रोज की तरह गुरुग्राम के भोंडसी के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के बाहर सुबह करीब सवा सात बजे से ही बच्चों ने स्कूल आना शुरु कर दिया था। सबकुछ रोज की ही तरह था। वरुण ठाकुर भी अपने बेटे प्रद्युम्न ठाकुर और बिटिया को लेकर करीब पौने आठ बजे स्कूल पहुंचे थे। लेकिन, उन्हें नहीं पता था कि वो आज के बाद कभी भी अपने मासूम बेटे से नहीं मिल पाएंगे। स्कूल पहुंचने के दस मिनट के भीतर ही वरुण ठाकुर के पास स्कूल की ओर से फोन आता है और बताया जाता है कि उनके बेटे को चोट लग गई हैं अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में प्रद्युम्न की हालत ऐसी थी कि किसी का भी कलेजा गले को आ जाए। गला बुरी तरह रेता हुआ था। चंद मिनटों के भीतर ही देशभर में प्रद्युम्न मर्डर केस की खबर आग की तरह फैल गई। स्कूल की छुट्टी कर दी गई। पुलिस ने जांच पड़ताल शुरु की।
बहुत ही जल्दबाजी में हरियाणा पुलिस ने इस केस का खुलासा भी कर दिया और कह दिया कि बस के कंडक्टर अशोक ने ही प्रद्युम्न मर्डर केस को अंजाम दिया है। हरियाणा पुलिस की ओर से एक कहानी गढ़ी गई। बताया गया कि अशोक स्कूल के बाथरूम में गलत हरकत कर रहा था। प्रद्युम्न ने उसे देख लिया था। उसने प्रद्युम्न के साथ भी गलत काम करने की कोशिश की और उसका गला रेत दिया। पुलिस की गिरफ्त में खड़े होकर अशोक ने वही कहा जो पुलिस की थ्योरी थी। हालांकि पुलिस के सामने कबूलनामे का कोई खास मतलब होता नहीं है। पुलिस अगर अपने पर आ जाए तो वो किसी से कुछ भी उगलवाने का बूता रखती है। लेकिन, बाद में ये मामला सीबीआई के पास चला गया। सीबीआई ने कई दिनों तक प्रद्युम्न मर्डर केस की बारीकी से जांच की। सीसीटीवी फुटेज चेक किए, टेक्नीकल एवीडेंस जुटाए। दर्जनों लोगों से कई कई बार पूछताछ की। नतीजा क्या रहा। सीबीआई ने प्रद्युम्न मर्डर केस में हरियाणा की पूरी की पूरी थ्योरी ही पलट दी।
सीबीआई इस केस में अब स्कूल के ही 11 के एक छात्र को गिरफ्तार कर चुकी है। सीबीआई का कहना है कि प्रद्युम्न की हत्या इसी छात्र ने की। जो पढ़ने में बेहद कमजोर था। वो स्कूल की पीटीएम और एग्जाम को टलवाना चाहता था। सात सितंबर को ही उसने एक नया चाकू खरीदा था। सीबीआई को ये छात्र सीसीटीवी फुटेज में भी चाकू के साथ दिखा था। हालांकि इस छात्र के निशाने पर सिर्फ प्रद्युम्न ही था ऐसा कहना गलत होगा। उसे सिर्फ किसी की हत्या करनी थी। ताकि पीटीएम और एग्जाम कैंसिल हो जाए। प्रद्युम्न की जगह कोई दूसरा छात्र भी होता तो शायद वो भी मारा जाता। सीबीआई ने टेक्नीकल एवीडेंस के आधार पर ये बात कही है कि जिस वक्त बाथरूम में प्रद्युम्न की हत्या हुई उस वक्त ये छात्र वहीं पर मौजूद था। वो अपने मोबाइल फोन में गंदी फिल्म भी देख रहा था। इसी छात्र ने सबसे पहले स्कूल स्टाफ को प्रद्युम्न मर्डर केस की जानकारी दी और बाथरूम के पास माली और कंडक्टर को देखने की बातें कहें।
जबकि वो अपने दोस्तों से कह चुका था कि एग्जाम की तैयारी करने की जरूरत नहीं है। ये सबकुछ टलने जा रहा है। सवाल ये है कि आखिर प्रद्युम्न मर्डर केस में जिन बातों पर सीबीआई ने फोकस किया उन बातों को हरियाणा पुलिस ने क्यों इग्नोर किया। क्या हरियाणा पुलिस पर रेयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधन का दवाब था कि वो इस केस में बस के कंडक्टर को बलि का बकरा बनाएं ? क्या रेयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधन और पुलिस ने मिलीभगत कर आरोपी छात्र को बचाने की कोशिश की ? क्या स्कूल प्रबंधन को इस बात की जानकारी थी कि प्रद्युम्न मर्डर केस में हत्यारा अशोक नहीं बल्कि कोई छात्र ही है ? अगर सिर्फ 11 वीं के एक छात्र ने ही पूरी की पूरी हरियाणा पुलिस को टोपी पहना दी तो उसके शातिर दिमाग की दाद देनी होगी। लेकिन, अगर ऐसा नहीं था तो उन लोगों की भी गिरफ्तारी होनी चाहिए जिन्होंने इस केस को गुमराह करने की कोशिश की। इसमें स्कूल प्रबंधन भी हो सकता है। आरोपी छात्र का परिवार भी हो सकता है और खुद हरियाणा पुलिस भी हो सकती है।
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