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फिर तिलमिलाया चीन, राष्ट्रपति कोविंद के अरुणाचल दौरे से हुआ बेचैन

चीन भूल जाता है कि उसे भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने का हक नहीं है. वो राष्ट्रपति कोविंद के अरुणाचल दौरे को लेकर सवाल खड़े कर रहा है।

New Delhi, Nov 21: चीन वो देश बनता जा रहा है जिस पर कोई भरोसा नहीं कर सकता है। चीन की मौजूदा सरकार के मुखिया शी जिनपिंग खुद को भगवान मानने लगे हैं। महाशक्ति का तमगा हासिल करने के लिए वो इस कदर परेशान हैं कि कुछ भी कर सकते हैं। चीन की महत्वकांक्षी योजनाओं के बारे में दुनिया को पता लग रहा है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, वन बेल्ट वन रोड जैसे प्रोजेक्ट के दम पर चीन दुनिया पर अपनी छाप छोड़ना चाहता है। इतनी महत्वकांक्षाओं के बाद भी चीन का भारत के साथ संबंध ठीक नहीं है। वो अक्सर भारत की राह में रोड़े अटकाता रहता है। डोकलाम विवाद और अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन रोता ही रहता है अब राष्ट्रपति कोविंद की अरुणाचल यात्रा को लेकर चीन फिर से बेचैन हो गया है।

बता दें कि रविवार को राष्ट्रपति कोविंद अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में नए भवन का उद्घाटन करने के लिए गए थे। इस से चीन को मिर्ची लग गई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत को इस तरह की घटनाों से बचना चाहिए। यानि अब चीन हमें बताएगा कि अपने देश में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। देश के राष्ट्रपति को कहां जाना चाहिए कहां नहीं जाना चाहिए। चीन की तरफ से कहा गया है कि दोनों देशों के बीच में संबंध बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में भारत को इसका ध्यान रखना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के इस रुख पर भारत कई बार जवाब दे चुका है।

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देश मतभेद वाले मुद्दा का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में लगातार इस तरह के दौरों से भारत को बचना चाहिए। राष्ट्रपति कोविंद से पहले भी चीन दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा का विरोध कर चुका है। उसे लगता है कि इस तरह से उनकी चाल फेल हो जाएगी। वो अरुणाचल के कुछ सीमाई इलाकों पर जबरन अपना दावा जताता है। लेकिन भारत उनसी धमकियों में नहीं आने वाला है। मोदी सरकार की तरफ से कई बार ये साफ किया जा चुका है कि हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने का चीन को कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस से पहले लद्दाख भी गए थे। जिस से चीन को परेशानी हुई थी।

बता दें कि चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ दुनिया के कई देश एकजुट होने में लगे हैं। हाल ही में एक अमेरिकी एक्सपर्ट ने कहा था कि चीन को रोकने वाला दुनिया में कोई नेता है तो वो मोदी ही हैं। चीन के सामने केवल नरेंद्र मोदी खड़े हैं। अमेरिकी एक्सपर्ट ने तो यहां तक कहा था कि डोनाल्ड ट्रम्प भी चीन के सामने नहीं खड़े हो पा रहे हैं। जिस तरह से भारत ने चीन के CPEC और वन बेल्ट वन रोड का विरोध किया है उस से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुई है। ये चीन के लिए एक सबक है कि उसे अगर महाशक्ति बनना है तो इस तरह के विवादों में नहीं पड़ना चाहिए। दुनिया का माहौल तेजी से बदल रहा है। चीन का ज्यादा ताकतवर होना कई देशों के लिए ठीक नहीं होगा। चीन पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को पूरा समर्थन देता है, इन दोनों देशों को लेकर विश्व की राय कैसी है ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है।

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