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मुस्लिम महिलाओं की आखिरी उम्मीद हैं पीएम मोदी, लगाई बचाने की गुहार

तीन तलाक पर बैन के बाद अब मुस्लिम महिलाओं ने पीएम मोदी से फिर से गुहार लगाई है। इस बार उनकी मांग है कि खतना को अवैध घोषित किया जाए।

New Delhi, Nov 21: बीजेपी पर हमेशा से विरोधी ये आरोप लगाते रहे हैं कि वो एक खास समुदाय के खिलाफ काम करती है, बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी कहा जाता है. लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से माहौल बदला है उस से एक बात तो साफ हो रही है कि अब बीजेपी ने मुस्लिम समाज में भी अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी है। मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी कुरीति तीन तलाक को लेकर मोदी सरकार के कड़े रुख से मुस्लिम महिलाएं काफी खुश थीं। तीन तलाक सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर दिया है, इसका श्रेय पीएम मोदी को भी दिया जाता है। उन्होंने अपने भाषणों में कई बार ये कहा था कि मुस्लिम महिलाओं को इस तरह की प्रथाओं से बचाना होगा।

तीन तलाक पर बैन के बाद से ही पीएम मोदी की स्वीकार्यता मुस्लिम समाज खास तौर पर महिलाओं में बढ़ी है। आप अक्सर सुनते होंगे कि तीन तलाक से परेशान महिला ने मोदी से गुहार लगाई है। ऐसा नहीं है कि केवल तीन तलाक से ही मुस्लिम महिलाएं परेशान हैं। वो खतने से भी परेशान हैं, सभ्य इंसानी समाज में खतना जैसी किसी प्रथा की कोई जगह नहीं हो सकती है। इसके खिलाफ अब मुस्लिम महिलाएं सामने आ रही हैं। दाऊदी बोहरा समाज की कई महिलाएं इसी हफ्ते एक अभियान शुरू करने वाली हैं। इस इभियान के तहत वो पीएम नरेंद्र मोदी से मांग करेंगी कि वो खतना को अवैध घोषित करें। ये एक और प्रमाण है कि अपने समाज से निराश महिलाएं अब मोदी में सहारा खोज रही हैं।

बता दें कि बोहरा समुदाय में सालों से ख़तना की प्रथा चल रही है। इस प्रथा में मुस्लिम बच्चियों के जननांग का खतना किया जाता है। मासूम उम्र में इतनी यातना कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। कई महिलाओं ने अपना दर्द बयान किया है कि किस तरह से बचपन में किए खतने की डरावनी याद ताउम्र उनके साथ रहती है। बोहरा शिया मुस्लिम होते हैं, इनकी आबादी तकरीबन 20 लाख के आस पास है। ये मुख्य तौर पर महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसे हुए हैं। इस कुप्रथा के खिलाफ 19 नवंबर को एक ऑनलाइन अभियान भी शुरू किया गया है। अब खतना के खिलाफ जिस तरह से महिलाएं लामबंद हो रही है उस से ये भी संकेत मिल रहा है कि मुस्लिम समाज की महिलाएं अपने अधिकारों के लिए जागरूक हो रही हैं।

पहले तीन तलाक और खतना जैसी कुप्रथाओं से परेशान होने के बाद भी महिलाएं सामने नहीं आती थी। लेकिन अब माहौल में बदलाव आ रहा है। मुस्लिम समाज में फैली कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए महिलाओं को ही आगे आना होगा.खास बात ये है कि दुनिया के कई देशों में बंद तीन तलाक और खतना जैसी प्रथाएं भारत में अभी भी चल रही हैं। खतना तो यौन हिंसा का ही एक रूप माना जा सकता है। इस से महिलाओं को जिंदगी भर डरावनी यादें परेशान करती हैं। अब इन महिलाओं ने पीएम मोदी से गुहार लगाई है कि वो खतना को अवैध घोषित करें। धीरे धीरे ही सही मुस्लिम समाज बदलाव को महसूस कर रहा है। ये देश के लिए अच्छी बात है।

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