New Delhi, Dec 22: देश की सियासत में कई तरह के मॉडल प्रचलित हैं, जी हां सियासी मॉडल जो कोई भी पार्टी अपनाती है। जैसे बीजेपी का अपना मॉडल है, कांग्रेस के पास अपना मॉडल है, तो वहीं कुछ लोग केजरीवाल मॉडल को भी कंसीडर करते हैं। बात करेंगे केजरीवाल मॉडल के बारे में। केजरीवाल ने राजनीति में अपनी राह तैयार करेन के लिए छापामार शैली अपनाई, सत्ता मिलने के बाद वो कुछ समय तक एक ही नाम पर अटक के रह गए थे। वो नाम था प्रधानमंत्री मोदी का, हर बात के लिए केजरीवाल मोदी को जिम्मेदार ठहराते थे। वो सारी हदें पार गए थे। लेकिन उसका फायदा केजरीवाल को नहीं मिला, धीरे धीरे जनता ने उनको गंभीरता से लेना बंद कर दिया और सियासी नुकसान होने लगे, अब उसी शैली की राजनीति राहुल गांधी करते दिखाई दे रहे हैं।
अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पहुंचे थे। इस बैठक में एजेंडा तो ये होना चाहिए था कि पार्टी को किस तरह से आगे बढ़ाया जाए, किस तरह से खोए हुए जनाधार को वापस लाया जाए, लेकिन बैठक के बाद राहुल ने जो कहा उस से थोड़ी हैरानी हुई, राहुल की जुबान पर मोदी का नाम था। गुजरात चुनाव हो गया, कांग्रेस की हार हुई लेकिन उसके बाद भी राहुल मोदी नाम से खुद को अलग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनकी सियासत झूठ की बुनियाद पर टिकी है। राहुल ने कहा कि मोदी जिस विकास मॉडल की बात करते हैं वो कहीं है ही नहीं, मोदी केवल अपने मन की बात करते हैं, जनता के मन की बात नहीं करते हैं।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद राहुल गांधी मीडिया के सामने तो आए, लेकिन उन्होंने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया, बल्कि वो आए और बयान दे कर चले गए। उन्होंने कहा कि मोदी राफेल डील और जय शाह पर क्यों नहीं बोलते हैं। नोटबंदी और जीएसटी पर क्यों खामोश हैं। इसके अलावा राहुल ने टूजी को लेकर भी बात की, उन्होंने कहा कि टूजी का सच सामने आ गया है। मोदी ने जितने वादे किए थे सब जुमले थे। 15 लाख रूपये किसी के खाते में नहीं आए। मोदी सरकार के राज में जनता का हक छीना जा रहा है। राहुल ने कहा कि वो केवल झूठ बोलते हैं। राहुल के इस हमले के बाद सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वो अपनी पार्टी को मजबूत करने के बजाय बीजेपी के कमजोर होने का इंतजार कर रहे हैं। क्या उनको लगता है कि इस तरह के हमलों से बीजेपी और मोदी कमजोर हो जाएंगे।
राहुल गांधी राफेल डील और जय शाह की बात करते हैं, तो ये दोनों ही मुद्दे फुस्स साबित हुए हैं, जनता को भी इसके बारे में समझ आ गया है। राहुल बोलते हैं कि राफेल डील में गड़बड़ी है, तो ये बात जब डील हो रही थी तो क्यों नहीं उठाई थी. जय शाह के मामले में भी सारे दस्तावेज सामने आ गए हैं। जहां कोई खबर नहीं उस से मुद्दा निकालने की कोशिश राहुल कर रहे हैं। गुजरात हार को नैतिक जीत बताने वाले राहुल क्या ये समझाएंगे कि वो नैतिक जीत से ही संतोष करते रहेंगे कि या फिर असल जीत के लिए कोई प्लान हैं उनके पास, कांग्रेस के हर नेता और कार्यकर्ता इस बात का इंतजार कर रहा है कि राहुल कई ऐसा रोडमैप पेश करें जिस पर चल कर 2019 में जीत की मंजिल पर पहुंचा जा सके।
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