New Delhi, Jan 02: देखिए ये खबर नहीं बल्कि भविष्य की एक तस्वीर है, जो 2019 में सही साबित हो सकती है, बिहार के सीएम नीतीश कुमार कभी केंद्र की राजनीति किया करते थे, एक समय था जब अटल बिहारी सरकार में वो रेल मंत्री हुआ करते थे. राष्ट्रीय राजनीति में वो एक बड़े नेता माने जाते हैं। लेकिन बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने और फिर जीत के बाद नीतीश मुख्यमंत्री बन गए, हलांकि उनकी केंद्रीय राजनीति की हसरत खत्म नहीं हुई, इसी हसरत के कारण उन्होंने 2014 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया। अब वो फिर से एनडीए में आ गए हैं, बिहार में बीजेपी के साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं। सियासत एक बार फिर से करवट बदलने वाली है।
सियासी हलियारों में इस बात को लेकर हलचल है कि 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार बिहार की राजनीति छोड़ देंगे, जी हां ये कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि जिस तरह से नीतीश बीजेपी के साथ अपने संबंधों को नए आयाम पर ले जा रहे हैं उस से यही इशारा मिल रहा है. हाल ये है कि नीतीश किसी भी कीमत पर बीजेपी को नाराज नहीं करना चाहते हैं. अभी से वो बीजेपी और मोदी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं। दरअसल नीतीश एक मंझे हुए नेता हैं, वो हवा के रुख को अच्छे से पहचानते हैं, बिहार में जो मौजूदा हालात हैं उस पर नजर डालें तो पता चलता है कि सबसे बड़ी पार्टी लालू की है। अगले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव पूरी ताकत लगा देंगे।
विधायन सभा चुनाव से पहले लोकसभआ चुनाव होंगे, और अगर मोदी फिर से जीत जाते हैं तो नीतीश को बिहार से निकाल कर केंद्र की राजनीति में लाया जाएगा, इसके दो फायदे होंगे, पहली बात तो ये कि बिहार में नीतीश चुनावों में चेहरा नहीं होंगे, जिस तरह से तेजस्वी कह रहे हैं कि जनता धोखेबाज को सबक सिखाएगी, तो नीतीश का चेहरा ही नहीं होगा, इस से जनता का गुस्सा अगर थोड़ा बहुत है तो वो भी खत्म हो जाएगा। इसके अलावा बतौर केंद्रीय मंत्री नीतीश राज्य में प्रचार के लिए जाएंगे तो उसका अलग ही असर होगा। जिस तरह से मोदी के लिए गुजरात है उसी तरह से नीतीश के लिए बिहार है। वो खुद के बिहारी होने की दुहाई देंगे।
सोचने वाली बात ये है कि ये रणनीति बना कौन रहा है, नीतीश कुमार को बिहार से निकाल कर केंद्र की राजनीति में लाने से बीजेपी को क्या फायदा होगा. दरअसल नीतीश के कद का कोई नेता बीजेपी के पास फिलहाल नहीं हैं, नीतीश सभी दलों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं, हालांकि महागठबंधन तोड़ने के बाद से नीतीश की छवि पर डेंट लगा है, लेकिन फिर भी वो केंद्रीय मंत्री बन कर बीजेपी की काफी मदद कर सकते हैं। नीतीश के बाद बिहार का क्या होगा, इसके जवाब में ये कहा जा सकता है कि वहां पर पार्टी की दूसरी लाइन तैयार की जाएगी, जिन नए नेताओं को अभी तक मौका नहीं मिला है उनको चांस दिया जाएगा, इस से बिहार की जनता को ये संदेश दिया जाएगा कि बीजेपी और जेडीयू लालू की तरह वंशवादी और परिवारवाद की राजनीति नहीं करते हैं।
आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…
ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…
अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…
धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…
भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…
मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…
Leave a Comment