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लोकतंत्र को फेक न्यूज़ से ख़तरा, फ्रांस में आ रहा है नया कानून

क्या फेक न्यूज़ के कारण लोकतंत्र खतरे में है, इन पर रोक लगाने की जरूरत कई देशों में महसूस की जा रही है. फ्रांस में इसे लेकर एक शुरूआत हुई है।

New Delhi, Jan 05: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने एक कानून लाने का वादा दिया है जो फ्रांस के चुनावी अभियानों के दौरान फेक न्यूज़ पर रोक लगाएगा। उनका कहना है कि लोकतंत्र को बचाने के लिए नए कानून की ज़रूरत है। भारत मे तो प्रधानमंत्री ही चुनावी भाषणों में फेक न्यूज़ का इस्तमाल कर देते हैं। आल्ट न्यूज़ जैसी कुछ वेबसाइट के अलावा फेक न्यूज़ के खिलाफ कोई भी सघन तरीके से नहीं लड़ रहा है। फरवरी महीने 18 से दो साल तक सिंगापुर में कोई भी नई कार नहीं ख़रीद सकेगा। वहां की सरकार ने कार ख़रीद पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाकर 0.25 प्रतिशत तक ला दिया था जिसे अब शून्य किया जा रहा है। 2000 से सिंगापुर की आबादी में 40 फीसदी वृद्धि हुई है।

6 लाख कारें हो गई हैं। सरकार का कहना है कि अब और जगह नहीं बची है। केप टाउन के प्रशासन ने लोगों से कहा है कि जब ज़रूरत हो तभी फ्लश करें। तीन बार फ्लश करने से 27 लीटर पानी ख़र्च हो जाता है। कहा जा रहा है कि एक बार ही हाथ और चेहरा धोएं। बर्तन दिन में एक बार ही धोएं। यहां तक कि यह भी सुझाव दिया जा रहा है कि हर दिन दो लीटर की जगह पौने दो लीटर ही पानी पीने की कोशिश करें। बताया जा रहा है कि प्रतिदिन 84 लीटर पानी के इस्तमाल का किस तरह बंटवारा करें और सदुपयोग करें। केप टाउन में सूखा पड़ा है। शहर में पानी की भयंकर कमी हो गई है।

वहां एक जनवरी 2018 से पानी के इस्तमाल पर तरह तरह के प्रतिबंध लगे हैं। जो नियम तोड़ेगा उस पर भारतीय मुद्रा में 5000 से 10000 तक का जुर्माना लगेगा। आप गूगल सर्च करेंगे तो पता चलेगा कि केप टाउन के लोग टॉयलेट और फ्लश की ज़्यादा चर्चा कर रहे हैं। लोग बता रहे हैं कि कैसे बिना फ्लश और पानी के शौच करने लगे हैं। आप यह सब पढ़ेंगे तो अंदाज़ा रहेगा कि पानी की समस्या क्या हालत करने वाली है। इस तरह के संकट भारत में भी पैदा होते ही रहते हैं। दुनिया में हर साल तीस लाख लोग वायु प्रदुषण के कारण समय से पहले मर जाते हैं। अमरीका में 1970 के दशक में CLEAN AIR ACT पास हुआ था।

वायु प्रदूषण की मात्रा तय कर दी गई थी। अब नए शोध से पता चल रहा है कि यह मात्रा खास उम्र के लोगों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है। Journal of the Americal Medical Association में एक नया रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 2 करोड़ 20 लाख मौतों के दस्तावेज़ों का अध्ययन किया है। इनके अध्ययन से देखा गया है कि 65 साल से ऊपर के बुज़ुर्ग वायु प्रदूषण की न्यूनतम मात्रा से भी मारे जा रहे हैं।दिल्ली में बहस ही हो रही है। होती रहेगी। आज हिन्दू मुस्लिम टापिक में वैसे क्या है टीवी पर।

(वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक पेज से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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