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सुप्रीम कोर्ट विवाद: जूनियर जजों ने अपने सीनियरों को सिखाया कानून?

सुप्रीम कोर्ट विवाद खत्म हो गया है, ऐसा कहा जा रहा है, काम शुरू होने से पहले चाय पर हुई बैठक में जूनियर जजों ने चारों वरिष्ठ जजों पर अपनी भड़ास निकाली

New Delhi, Jan 16: सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कई सवाल खड़े कर दिए, सवाल केवल न्यायपालिका के अंदर चल रहे उठा पटक को लेकर नहीं था, बल्कि चारों जजों के व्यवहार को लेकर भी हैं। क्या मामला इतना गंभीर था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जरूरत पड़े, क्या सुप्रीम कोर्ट के अंदर ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है जिसके तहत इस तरह के विवादों को सुलझाया जा सके। सवाल ये है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में लोकतंत्र खतरे में है, कहने वाले जज, एक दिन बाद ही ये क्यों कहने लगे कि अब सब ठीक है, एक दिन में ऐसा क्या हो गया जिस से सब ठीक हो गया। इस तरह के तमाम सवाल आम जनता के मन में हैं, अब बार काउंसिल और एटॉर्नी जनरल कह रहे हैं कि सब ठीक है, कोर्ट के जजों की चाय पर बैठक हुई, जिसके बाद ये कहा गया।

कोर्ट की परंपरा है कि दिन का काम शुरू होने से पहले सभी जज चाय पर मुलाकात करते हैं। इस दौरन जूनियर जजों ने चारों जजों को जमकर खरी खोटी सुनाई। एक हिंदी वेबसाइट ने अंग्रेजी अखबार के हवाले से ये खबर छापी है। बताया गया है कि चाय के दौरान जूनियर जजों ने चारों जजों को जमकर सुनाया, जूनियर्स का सवाल था कि आप मीडिया के पास क्यों गए, और मीडिया से बात करने से पहले हमसे राय क्यों नहीं ली गई। अगर चीफ जस्टिस के तैयार रोस्टर से कुछ नाराजगी थी, तो पहले हम सभी से बात करते। जूनियर जजों ने चारों सीनियर जजों पर ये आरोप भी लगाया कि उन्होंने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है, जिसके कारण नेताओं को टिप्पणी करने का मौका मिल गया है।

सुप्रीम कोर्ट के जूनियर जजों ने इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश नहीं करने का भी आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि चारों जज इस मुद्दे पर फुल कोर्ट बैठक करके आंतरिक विचार विमर्श कर सकते थे, इसी के साथ कुछ जूनियर जजों ने ये भी कहा कि वरिष्ठ जजों ने ये साबित करने की कोशिश की है कि बड़े केसों की सुनवाई करने की क्षमता केवल वरिष्ठ जजों में ही है। सूत्रों के मुताबिक एक जूनियर जज ने कहा कि आप सभी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बड़े केसों को सुनवाई के लिए जूनियर बेंच के पास भेजा जाता है, इस से क्या आप ये साबित करना चाहते हैं कि जिन बड़े केसों की देश भर में चर्चा है, उसकी सुनवाई करने की कुशलता और योग्यता केवल सीनियर जजों के पास है।

ये कह कर आप ने हम जूनियर जजों की योग्यता पर सवाल खड़ा किया है, इस व्यवहार से न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि हर जज की निष्ठा और योग्यता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। चाय पर बैठक के दौरान ये सारी बातें हुई, इस से एक बात तो साफ हो गई है कि चारों जजों के व्यवहार से कई जज खुश नहीं है, खास तौर पर जूनियर जजों को उनकी कुछ बातें अच्छी नहीं लगी, इस से ये भी पता चलता है कि अगर इन चारों जजों ने कोशिश की होती तो ये मामला अंदर ही निपटाया जा सकता था, लेकिन उन्होंने पूरी कोशिश करने के बजाय मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा. बहरहाल अब ये कहा जा रहा है कि ये विवाद खत्म हो गया है, लेकिन बहुत से सवाल आम जनता के मन में अभी भी बने हुए हैं।

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