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अपने खात्मे की तरफ शिवसेना, उद्धव ठाकरे का आत्मघाती फैसला

शिवसेना ने जो फैसला किया है वो उसके खात्मे की तरफ जा सकता है, उद्धव ठाकरे में शायद अपने पिता वाले राजनीतिक गुण नहीं आ पाए हैं।

New Delhi, Jan 23: महाराष्ट्र की राजनीति में कभी शिवसेना की तूती बोलती थी, बाला साहब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने उन ऊंचाईयों को छुआ था जो उनके बेटे उद्धव ठाकरे कभी नहीं कर पाए। झेत्रवादी राजनीति से राष्ट्रवादी राजनीति की तरफ बढ़ने वाले बाला साहब अगर आज जिंदा होते तो शिवसेना की ये हालत नहीं होती, हालांकि उनके रहते ही उद्धव ने शिवसेना की जिममेदारी लेनी शुरू कर दी थी, मगर जिस तरह के फैसले उद्धव कर रहे हैं उस से बाल ठाकरे की पार्टी खत्म भी हो सकती है. बीजेपी के साथ बाल ठाकरे के संबंध हमेशा से ही अच्छे रहे थे, उनके रहते बीजेपी के साथ गठबंधन में कभी कोई दिक्कत नहीं आई। मगर उद्धव के सामने जो बीजेपी है वो झुकने वाली बीजेपी नहीं है।

पिछले कुछ समय से शिवसेना औऱ बीजेपी के संबंध लगातार खराब चल रहे हैं। शिवसेना लगातार धमकी देती रहती है कि वो गठबंधन तोड़ देगी। 2 दशकों एनडीए का हिस्सा रही शिवसेना ने लगता है कि अब फैसला कर ही लिया है। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने एलान किया है कि वो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मं ये फैसला लिया गया है। फिलहाल शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र में सरकार का हिस्सा है। महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी गठबंधन की सरकार चल रही है। इसी के साथ शिवसेना ने ये भी कहा है कि वो विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। ये फैसला शिवसेना के लिए आर या पार का फैसला है।

शिवसेना के नेता पिछले काफी समय से मोदी सरकार पर हमलावर हैं, लगातार धमकी दी जा रही है कि जरूरत पड़ने पर शिवसेना गठबंधन तोड़ सकती है। उद्धव ने कई बार कहा है कि हम दबाव नहीं सहेंगे, जरूरत पड़ने पर गठबंधन को तोड़ सकते हैं। वहीं संजय राउत ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव शिवसेना बीजेपी के साथ नहीं लड़ेगी। बता दें कि शिवसेना और बीजेपी के संबंध महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय से ही खराब चल रहे हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर काफी विवाद हुआ था। शिवसेना महाराष्ट्र में खुद को बीजेपी से बड़ी पार्टी मानती है, लेकिन लोकसभा चुनाव में जीत के बाद से ही बीजेपी का नेतृत्व सभी राज्यों में विस्तार में लग गया था. इसी के तहत बीजेपी ने महाराष्ट्र में ज्यादा सीटों की डिमांड की।

जिसके बाद दोनों ही दलों ने अलग अलग चुनाव लड़ा, नतीजे आने पर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। बाद में दोनों दलों ने गठबंधन कर के सरकार बनाई। लेकिन अब शिवसेना का नेतृत्व भी बदल रहा है, उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे की भूमिका पार्टी में बढ़ती जा रही है। बताया जाता है कि आदित्य सभी दलों के प्रति समान भाव रखते हैं. जरूरत पड़ने पर वो कांग्रेस के साथ भी हाथ मिला सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो शिवसेना की विचारधारा खत्म हो जाएगी, बीजेपी और एनडीए का साथ छोड़ने के बाद शिवसेना के सामने समस्या ये है कि उसे अपने दम पर महाराष्ट्र में सरकार बनानी होगी, ऐसा करने में वो फिलहाल सक्षम नहीं दिखाई दे रही है।

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