Categories: indiaspeak

कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे अखिलेश यादव, इस बार दांत खट्टे हो जाएंगे

अगले लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज से लड़ेंगे, लेकिन जीत पाएंगे या नहीं इस पर संशय है, अखिलेश को इस बार पसीने आ जाएंगे।

New Delhi, Jan 24: साजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। यूपी में चुनाव हारने के बाद उनके पास कुछ खास काम नहीं है, ऐसे में वो संगठन को मजबूत कर रहे हैं, सदस्यता अभियान चला रहे हैं। इसी के साथ खुद के लिए सुरक्षित सीट की तलाश भी कर रहे हैं. विधानसभा सदस्य तो अखिलेश रहे नहीं, 2019 में लोकसभा पहुंच कर इस दर्द को मिटाने की तैयारी कर रहे हैं। जिस सीट पर उनकी तलाश खत्म हुई है वो कन्नौज की सीट है। यहां से फिलहाल लडिंपल यादव सांसद हैं, अगली बार अपनी पत्नी की जगह खुद अखिलेश चुनाव लड़ेंगे। जसे टीपू सुरक्षित सीट समझ रहे हैं क्या वहां से जीत पाना उनके लिए आसान होगा. पिछले चुनाव के नतीजों पर गौर करने से लगता है कि अखिलेश को कन्नौज से भी जीतने के लिए पसीना बहाना पड़ेगा।

2014 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को कन्नौज से उतारा गया था। तमाम समीकरणों के बाद, परिवाराद के बाद, सुरक्षित सीट हने के बाद भी डिंपल को यहां से जीतने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। कड़ी टक्कर के बाद डिंपल कन्नौज से केवल 19 हजार 907 वोटों से जीत पाई थीं। जाहिर है कि अखिलेश के सामने चुनौती पार्टी की पारंपरिक सीट बचाने की भी होगी। जिस तरह से यूपी में बीजेपी को जीत मिली थी, उसके बाद विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विरोधियों को लगभग खत्म कर दिया था, उसके परिप्रेक्ष्य में देखें तो फिलहाल सपा की सभी सुरक्षित और पारंपरिक सीटों पर खतरा मंडरा रहा है। अखिलेश शायद इस बात को अभी समझ नहीं पा रहे हैं।

कन्नौज में किस तरह से समाजवादी पार्टी का किला ढह रहा है इसका संकेत विधानसभा चुनाव मं ही मिल गया था। कन्नौज में 5 विधानसबा सीटें हैं, जिनमें से 4 पर बीजेपी का कब्जा है। ये बताता है कि बीजेपी ने कितनी सेंध मारी है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी जिस जातिगत समीकरण के आधार पर राजनीति करती है, वो भी अब छिन्न भिन्न हो रहा है, सपा कन्नौज में अपना वोट बैंक बचाने में नाकाम रही, जिसके कारण 2014 में डिंपल यादव को जीतने में पसीने आ गए थे। अखिलेश यादव के लिए कन्नौज की राह आसान नहीं होने वाली है। बता दें कि कन्नौज सीट समाजवादी पार्टी ने 1998 में पहली बार जती थी. उसके बाद से लगातार 6 बार यहां से सपा का नेता चुनाव जीतता रहा है। लेकिन सातवीं बार जीतने के लिए अखिलेश को काफी मेहनत करनी होगी।

दरअसल कन्नौज में सपा को सूट करने वाला मतदाता वर्ग है, यहां पर 16 फीसदी यादव मतदाता हैं, 36 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. दोनों को मिलाकर ही 50 फीसदी से ज्यादा का आंकड़ा बन रहा है, इन्ही के दम पर समाजवादी पार्टी लगातार चुनाव जीत रही थी. लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम ने ये साफ कर दिया है कि परिवारवाद के नाम पर वोट देने की परंपरा धीरे धीरे खत्म हो रही है, यही बात राहुल गांधी पर भी लागू होती है जो अमेठी से चुनाव जीत तो रहे हैं लेकिन उनकी जीत का अंतर लगातार कम होता जा रहा है, जनता अब ये देख रही है कि इतनी बार चुनाव जीतने के बाद भी आपने क्या किया है. बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने के कारण ये सीटें वीआईपी सीटें बन जाती हैं, लेकिन इस से जनता का कोई फायदा नहीं होता है।

Leave a Comment
Share
Published by
ISN-1

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago