New Delhi Jan 29 : पिछले कुछ दिनों से इस बात को लेकर चर्चा चल रही थी कि AFSPA यानी सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को ज्यादा मानवीय बनाने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन, आर्मी चीफ बिपिन रावत ने AFSPA से जुड़ी इन तमाम संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। आर्मी चीफ बिपिन रावत का कहना है कि अभी ये वो समय नहीं है जब AFSPA पर पुर्नविचार किया जाए या फिर उसे हल्का किया जाए। दरअसल, आर्मी के जवानों को विशेषाधिकार देने वाला ये कानून इस वक्त जम्मू-कश्मीर के अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू है। इस कानून से ही सुरक्षाबलों को विवादित इलाकों में विशेष अधिकार मिलते हैं। अगर ये कानून ना हों तो कल्पना कीजिए कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों का क्या हाल होता। AFSPA आर्मी चीफ बिपिन रावत का बयान सामने आने के बाद कश्मीर के अलगाववादी नेता एक बार फिर सुलग उठे हैं।
दरअसल, कश्मीर के तमाम अलगाववादी नेता और कुछ संगठन नहीं चाहते हैं कि राज्य में AFSPA लागू रहे। वो लगातार इसका विरोध करते हैं। इतना ही नहीं आर्मी के जवानों पर इस कानून के दुरुपयोग के फर्जी आरोप भी लगाए जाते हैं। ताकि लोगों के बीच ये मैसेज जाए कि सुरक्षाबल के जवान कश्मीर में खुद को मिले विशेषाधिकार यानी AFSPA कानून का नाजायज फायदा उठाते हैं। जबकि ये बात सरासर गलत है। इस कानून को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस दोनों ही चाहते हैं कि राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को हटा दिया जाए। हालांकि आर्मी चीफ बिपिन रावत ने साफ कर दिया है कि कश्मीर या फिर पूर्वोत्तर के किसी भी राज्य में AFSPA के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। ये कानून जिस तरह से राज्य में लागू हैं हूबहू उसी तरह से आगे भी लागू रहेगा।
आर्मी चीफ बिपिन रावत का कहना है कि जम्मू और कश्मीर जैसे तनावपूर्ण इलाकों में तैनाती के दौरान आर्मी के जवान काफी सावधानी बरतते हैं। उनका कहना है कि मानवाधिकारों की रक्षा करना हमारा मकदस है। आर्मी चीफ बिपिन रावत का ये बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वो भी उस वक्त मे जब लगातार ये खबरें आ रही हैं कि रक्षा मंत्रालय और गृहमंत्रालय AFSPA पर पुर्नविचार कर रहा है। हालांकि इस संबंध में अब तक ना तो रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है और ना ही गृह मंत्रालय की ओर से। लेकिन, कई रिपोर्ट्स में ये दावा जरुर किया गया है कि AFSPA को लेकर रक्षा और गृह मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। हालांकि इस तरह की खबरों की प्रमाणिकता पर अब भी सवाल उठ रहे हैं। वैसे भी आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान के साफ हो गया है कि कश्मीर से AFSPA फिलहाल ना तो हटने वाला है और ना ही इसमें कोई परिवर्तन होगा।
एक इंटरव्यू में आर्मी चीफ बिपिन रावत से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अभी वो वक्त आया है जब AFSPA यानी सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम पर विचार किया जाए। आर्मी चीफ का कहना है कि हम मानते हैं कि इस में कई कड़े कानून है। लेकिन, आर्मी और सुरक्षाबलों की कोशिश होती है कि किसी भी ऑपरेशन में स्थानीय लोगों को ज्यादा असुविधा ना हो साथ ही नुकसान को भी कम करने की कोशिश की जाती है। आर्मी चीफ बिपिन रावत ने ये भी साफ किया कि AFSPA के तहत सुरक्षाबल के जवान जितनी सख्ती बरत सकते हैं आज तक उतनी सख्ती का इस्तेमाल नहीं किया गया। क्योंकि हम भी मानवाधिकारों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। आर्मी चीफ का कहना है कि हमें इस बात पर खुशी होती है कि मानवाधिकारों के मामले में आर्मी का रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है।
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