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सोनिया गांधी को अपने ‘लाल’ की चिंता, धुरंधरों के बीच राहुल कैसे बनेंगे नेता

सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष भले नहीं रहीं, लेकिन वो राहुल की मां तो हैं, जो अपने बेटे को विपक्षी दलों का नेता बनाने के लिए फिर से सक्रिय हो गई हैं।

New Delhi, Feb 01: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हैं, लेकिन सोनिया गांधी कौन हैं, ये सवाल वैसे तो कोई सवाल नहीं हुआ, लेकिन फिर भी हम आपको बताते हैं कि वो कौन हैं, सोनिया मां हैं, वो मां जो अपने बेटे के लिए चिंतित हैं, चिंता इस बात की है कि उनका बेटा 2019 में तमाम विपक्षी धुरधरों के बीच में कैसे टिक पाएगा, कांग्रेस भले ही प्रचार और सोशल मीडिया के जरिए राहुल को स्थापित करने में लगी हुई है, लेकिन एक मां से ज्यादा उसके बेटे को कोई नहीं जान सकता है, सोनिया के साथ भी यही है, वो जानती हैं कि उनका बेटा क्या कर सकता है और क्या नहीं कर सकता है। 2019 में मोदी को चुनौती देने के लिए विपक्षी गठबंधन और एकता की बात की जा रही है। इस में कांटा इस बात का है कि नेता कौन बनेगा।

अगले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को आजमाने के लिए और अपने बटे राहुल को नेता बनाने के लिए सोनिया गांधी फिर से एक्टिव हुई हैं, मोदी विरोधी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है, हालांकि ये कोशिश 2014 से ही हो रही है, इस में कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई है, जैसे जैसे 2019 पास आता जा रहा है विरोधी दलों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। ऐसा कौन है जो सभी दलों को साथ ला सके, इसके लिए सोनिया से बेहतर कौन होगा, विरोधी दलों सो साथ लाने के मकसद से सोनिया बजट पेश होने के एक दिन पहले डिनर दे रही हैं। लेकिन पेंच ये है कि क्या विपक्षी दल कांग्रेस के पीछे चलने को तैयार होंगे, सभी दलों में ऐसे नेता हैं जो राहुल से कहीं ज्यादा वरिष्ठ हैं।

कांग्रेस ने ममता बनर्जी से संपर्क करके उनका जवाब मांगा है, वो संयुक्त विपक्षी खेमे का हिस्सा बनने को तैयार हैं लेकिन बैठक में नहीं आ सकती हैं। वहीं शरद पवार भी सक्रिय हुए हैं, वो कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं, कांग्रेस में गांधी परिवार के वपादारों आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद ने बड़ी चालाकी से सोनिया गांधी को सर्वमान्य नेता बनाने की चाल चल दी है। रही बात ममता बनर्जी की तो वो गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन देख कर अपनी राय बदल रही हैं, वो शायद कांग्रेस को गंभीरता से ले रही हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या वो कांग्रेस के पीछे दूसरी लाइन में बैठना स्वीकार करेंगी। बस यही एक सवाल है जो सभी विरोधी दलों के मन मं हैं। कांग्रेस के पीछए जाने से फायदा या नुकसान।

खास बात ये है कि यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ही हैं, कांग्रेस अध्यक्ष पद उन्होंने छो़ दिया है लेकिन यूपीए को वही मनेज कर सकती हैं। अपनी राजनीतिक संध्या वेला में सोनिया का सक्रिय होना बताता है कि वो अपने बेटे के लिए कितनी चिंतित हैं, उनको पता है कि राहुल के अंदर वो बात नहीं है जिस से वो सभी विरोधी दलों को एक साथ ला सकें। साथ ही ये भी पता है कि अगर राहुल विरोधी दलों को साथ लाने में कामयाब हो गए तो वो नेता नहीं बन पाएंगे, इसलिए सोनिया आगे आई हैं, वो यूपीए की चेयरपर्सन हैं, ऐसे में उनको नेता मानने से कोई इंकार नहीं करेगा, बस यही है सोनिया का दांव, वो धीरे धीरे राहुल को यूपीए का नेता बनवा देंगी। इंतजार करिए और देखिए कि किस तरह से मोदी विरोधी खेमा अपनी ही महत्वकांक्षा की आग को कंट्रोल करता है।

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