Categories: indiaspeak

मोदी जी, अगर अतीत अच्छा होता तो शासन में आप कभी नहीं आते, रुदाली राग बंद करें

भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा- शासन में आने के बाद अतीत को कभी नहीं कोसो। अगर अतीत अच्छा होता तो शासन में तुम कभी नहीं आते। अतीत की गलतियों से सीखो और आगे बढ़ो।

New Delhi, Feb 09 : जब से हमलोगों ने नयी राजनीति देखी है,कई चीजें बदली। मौजूदा राजनीति को नब्बे के दशक से याद कर पा रहा हूं। समझ पा रहा हूं अपने व्यक्तिगत अनुभव से। पहले की चीजों को पढ़कर,दूसरों की समझ से जाना।
1950 से लेकर 1990 तक भारतीय राजनीति 1975 से 1980 के काल को छोड़ दें तो लगभग एक समान रही। कांग्रेस का शासन ही रहा। अधिकतर राज्यों में भी। नब्बे दशक के बाद कई नये नेता,नये दल आए। पूरी प्रेशर की टोली। केंद्र से लेकर राज्य तक उनकी सरकारें बनी। केंद्र में भी एकदम नये प्रयोग वाले सरकार बने। देवेगौड़ा भी पीएम बने। लालू प्रसाद, मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी से लेकर महज एक साल के अंदर पार्टी बनाकर सरकार बना लेने वाले अरविन्द केजरीवाल भी सीएम बन गये।

इन तमाम सियासी घटनाओं के बीच जब इनकी सरकार बनी तो चंद दिनों बाद ही ये जवाबदेह भी बने। अार्थिक रूप से बेहद संक्रमण काल में पीएम बने देवगौड़ा तक ने महज 9 महीने में मिली विरासत से लेकर ना-नुकुर आदि नहीं की। याद करें, भारत का अब तक सबसे बेहतर बजट जिसे ड्रीम बजट कहा गया था वह उसी 9 महीने के टर्म के दौरान पेश किया गया था। ममता बनर्जी हो, अखिलेश हो या फिर कोई और सीधे रूप से गर्वनेंस के लिए चंद दिनों बाद ही गवर्नेंस के लिए जिम्मेदार ठहराए गए। केजरीवाल भी सत्ता में आने के कुछ महीने बाद घेरे जाने लगे। ममता भी तो चालीस साल बाद सत्ता में आयी। लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकी।

इनके बीच किसी ने आज तक यह नहीं कहा कि भाई मैं तो चालीस साल बाद आया सत्ता में,पचास साल बाद अाया या मेरी पार्टी ही दो महीने पहले की है आदि-आदि। न उन्होंने कहा न उन्हें कहने दिया गया। न ऐसा माना गया। न ऐसा समझा गया। न इसकी कोशिश की गयी।
यह पूरे विश्व का स्थापित पैटर्न-परंपरा रहा है कि नयी सरकार में आने के बाद उसे चंद दिनों की हनीमून पीरियाड मिलती है तो उसके बाद वे हर अच्छी-बुरी चीजों के जिम्मेदार होते हैं।
लेकिन 70 सालों में यह भी पहली बार हो रहा है। चार साल का टर्म पूरा होने के बाद मोदी जी और उनके सपोर्टर की उर्जा नेहरू से शुरू होकर बस पुरानी बातों को गिनाने में समाप्त हो जाता है। उसने ये, इसने ये, इंडलेस रुदाली राग। 

जब मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभाली थी तब सुषमा स्वराज ने लोकसभा में सरकार और खुद को सलाह दी थी-युधिष्ठिर ने जब सत्ता संभाली तो उन्होंने बेहतर शासन के लिए भीष्म पितामह से गुर मांगे। भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा- शासन में आने के बाद अतीत को कभी नहीं कोसो। अगर अतीत अच्छा होता तो शासन में तुम कभी नहीं आते। अतीत की गलतियों से सीखो और आगे बढ़ो। अतीत पर टिके रहोगे तो खुद अतीत में चले जाओगे। वह सलाह चार साल बाद और भी प्रासंगिक हो गयी है।

(पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
Leave a Comment
Share
Published by
ISN-2

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago