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शिवसेना और बीजेपी का तलाक कैंसल, फिर खिलीं मोहब्बत की कलियां

शिवसेना औऱ बीजेपी के बीच फिर से प्यार की कलियां खिलने लगी हैं, तलाक का फैसला हो सकता है कि कैंसल हो जाए, ये दोनों के लिए अच्छा है।

New Delhi, Feb 16: वैलंटाइन डे हाल ही में गुजरा है, जाने के बाद भी फिजाओं में मोहब्बत की खुशबू ताजी है, ये मौसम ही रूठों को मनाने और प्यार करने का है, इस फिजा का असर शायद सियासी लोगों पर भी हो रहा है, जो पहले एक दूसरे से दूर जाने के बहाने तलाश कर रहे थे, वो फिर से प्यार के गीत गाते दिख सकते हैं। मुंबई जिसे मायानगरी कहा जाता है, जहां की फिल्मों से पूरे देश में प्यार के तराने फैलाए जाते हैं, उसी मायानगरी में अब सियासी प्यार की महक आ रही है। शिवसेना और बीजेपी के बीच बात तलाक तक पहुंच चुकी थी, लेकिन अब मामला दूसरी तरफ मुड़ गया है, सूत्रों के मुताबिक दोनों दल शायद अब अलगाव की राह पर नहीं चलेंगे।

बताया जा रहा है कि शिवसेना और बीजेपी के बीच बातचीत फिर से शुरू हो गई है, उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस मुलाकात करने वाले हैं। ये मुलाकात फणनवीस के घर में होने वाली है, बताया जा रहा है कि बीजेपी शिव सेना को मनाने की कोशिश कर रही है, महाराष्ट्र में भले ही बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन लोकसभा चुनाव में बिना शिव सेना के उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, इस बात को बीजेपी के नेता समझ गए हैं, इसलिए उद्धव को मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। दोनों नेताओं के बीच में बंद कमरे में बात होगी, खास बात ये है कि बीजेपी और शिव सेना के बीच में तीन राउंड की बातचीत पहले से हो चुकी है।

शिव सेना के एक नेता ने बताया कि बीजेपी औऱ उनकी पार्टी के बीच में बात हो रही है, मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फणनवीस के बीच ये मुलाकात बहुत अहम मानी जा रही है, अगर दोनों के बीच किसी बात पर सहमति बन जाती है तो दोनों ही पार्टियों के लिए अच्छा होगा। बंद कमरे में दोनों नेता आसानी से खुल कर बातें भी कर सकेंगे। हालांकि शिव सेना का कहना है कि ये मुलाकात नैनार ऑयल रिफ़ाइनरी को लेकर हो रही है। शिव सेना रत्नागिरि में रिफाइनरी का विरोध कर रही है इसलिए उद्धव ठाकरे वहां के स्थानीय लोगों के साथ मुख्यमंत्री से मिलेंगे. लेकिन असल मुद्दा तो कुछ और ही है।

पिछले कई दिनों से ये कहा जा रहा है कि शिव सेना और बीजेपी की राहें अलग हो गई हैं। दोनों तरफ के नेताओं के ऐसे ऐसे बयान आए जिस से पता चल रहा था कि कितनी कड़वाहट आ गई है। लगभग 20 साल से दोनों दल साथ में हैं। पिछले दिनों शिवसेना ने ने एलान किया था कि वो 2019 लोकसभा चुनाव और विधानसभआ चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। फिलहाल महाराष्ट्र में दोनों दलों की सरकार है। केंद्र में भी शिव सेना बीजेपी की सहयोगी है। दोनों दलों के अलग होने का फायदा सीधे तौर पर विपक्ष को मिलता, राज्य के मुद्दों के अलावा लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में दोनों दल अगर एक साथ आ जाएं तो फायदा दोनों का ही होगा।

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