New Delhi, Feb 25 : श्रीदेवी जवानी के दिनों में मेरी क्रश रही थी। अपना पूरा बचपन और किशोरावस्था मधुबाला के सपने देखते बीता था। उन सपनों पर कब श्रीदेवी काबिज़ हो गई, कुछ पता ही नहीं चला। उनकी फिल्म ‘हिम्मतवाला’ मैंने ग्यारह बार देखी थी। उनके स्वप्निल सौंदर्य, उनकी बड़ी-बड़ी आंखों और उनकी चंचल मासूमियत का जादू कुछ ऐसा सर चढ़ा कि उसके बाद मैंने ख़ुद से वादा ही कर लिया कि उनकी जो भी फिल्म लगेगी, उसका पहला शो मैं देखूंगा।
‘नगीना’ सात बार, ‘मिस्टर इंडिया’ पांच बार, ‘सदमा’ नौ बार. ‘लम्हे’ चार बार और ‘चांदनी’ तीन बार देखी थी।
उनके प्रति दीवानगी ऐसी कि उनकी फिल्मों के किसी भी नायक को उनके साथ परदे पर देखना तक मुझे गवारा नहीं था।
श्री देवी, आपका जाना बहुत उदास कर गया ! अगर अगला कोई जन्म होता है तो आप फिर फिल्मों की नायिका बनकर ही आना।
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