New Delhi, Feb 26 : श्रीदेवी एक सामान्य सुपरस्टार नहीं थी। वह पूरी जनरेशन के लिए पहला क्रश थी। बिहार-यूपी जैसे राज्यों के सिंगलप्लेक्स में Sridevi को देखने के लिए करोड़ों ने लाठी खाकर परदे पर फर्स्ट डे, फर्स्ट शो देखी। श्रीदेवी एक नायिका नहीं, विशेषण थी। पूरी पीढ़ी ने जब सिनेमा का A B C सीखा तो उसके लिए S से Sridevi ही मतलब था। सड़क के बगल में, कॉलेज के सामने सबसे अधिक पोस्टर श्रीदेवी के ही बिकते थे।
सिनेमा के ‘अमिताभी” युग में जब हिंदी फिल्मों में नायिका का काम बस हीरो के साथ ठुमके लगाना होता था,
मुझे याद है एक वाकया कि किसी ने श्रीदेवी की चांदनी को 28 बार देखी। बस बार-बार श्रीदेवी को देखने।
Sridevi का शरीर के साथ निधन हो सकता है लेकिन वह जिन लम्हों को दे चुकी है, वह हमेशा, हरवक्त साथ रहेगी।
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