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मकान खरीद के साथ क्या मंदिर -विग्रह-समाधि ध्वंस का भी अधिकार मिला था ?

उस भवन, मंदिर और समाधि को जिस बर्बरता से तोड़ा गया वैसी बर्बरता तो गजनी, गोरी, खिलजी और मुगलो ने भी नही की थी.

New Delhi, Feb 26: शहर दक्षिण के विधायक से पीड़ित सवाल पूछ रहे, 24 फरवरी को हमें दो बयान देखने को मिले. उनमें एक प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री का है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र शहर दक्षिणी का ही हिस्सा है और दुर्भाग्यवश वह राज्यमंत्री महोदय यहीं से विधायक हैं. कहते हैं न , “भीलो ने बाँट लिए वन, राजा को खबर तक नही”. अरे विधायक जी महाराज, आपने इस अशांत क्षेत्र का एक बार दौरा तक करने की जहमत नही उठायी. ठीक है कि आप पर कई विभागों का दायित्व है और समयाभाव के चलते आप नही आए पर प्रभु, क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से मामले की जानकारी लेने का भी क्या आपको समय नही मिला ? आपने बयान दिया कि किसी का भी मकान अधिग्रहीत नही किया गया है. ध्वस्त भवनों की रजिस्ट्री हुई है .सरकार ने खरीदे हैं.

एकदम सही कहा आपने. मगर क्या आपको इसकी भी जानकारी है कि उन भवनों मे मंदिर, उनके विग्रहो और मंडन मिश्र जैसे इतिहास पुरुष की समाधि आदि के विध्वंस का भी सरकार को अधिकार मिल गया था ? राज्य मंत्री जी खुद वकील हैं. लेकिन बेचारे नही जानते कि जिस व्यास परिवार का ऐतिहासिक भवन दो बजे रात को पुलिस-अर्ध सैनिक बल और 200 मजदूरों की मदद से ढहाया गया वही परिवार औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए गए हजारों साल पुराने विश्वनाथ मंदिरका सेवइत है और सैकडो सालों से इसका मुकदमा लड़ रहा है. उस भवन, मंदिर और समाधि को जिस बर्बरता से तोड़ा गया वैसी बर्बरता तो गजनी, गोरी, खिलजी और मुगलो ने भी नही की थी. क्या मंत्री जी के पास इसका जवाब है कि ताडकेश्वर मंदिर मे स्थापित 108 शिवलिंगो को कहां फेंका गया है ?

इन जनप्रतिनिधि महाशय को इसका भी नही पता कि जिन भवनों को ढहाया गया उनमें काशी के 56 विनायको मे एक विराजमान थे.हमे नही पता उनके हश्र का. एक भवन मे भारत माता का मंदिर था जिसका भग्नावशेष है और भारत माता खुले आसमान मे उपेक्षित सी फेकी हुई अपनी इस दुर्दशा पर इसलिए आंसू बहा रही है कि जो दल ‘भारत माता की जय’ कहता नही थकता, उसी दल की सरकार मे यह कुकृत्य किया गया.. कहते है न काशिका मे, ” हाथी घूमे गांव गांव, जेकर हाथी ओकर नाव”. कहने का मतलब यह कि जब भी इस पापाचार की चर्चा होगी तो ठीकरा उस तथाकथित राष्ट्रवाद और हिदुत्व की झंडाबरदार भाजपा के सिर ही फूटेगा जिसकी केंद्र और प्रदेश दोनों जगहों पर सरकार है.

सच तो यह कि ऐसे कुकर्मी अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए थी. बजाय इसके कुछ छुटभैये टाइप के इलाकाई नेताओं ने दलाली की चाह मे जयचंद और मीरजाफर की भूमिका निभायी, इसकी भी जानकारी राज्य मंत्री जी को शायद नही होगी. भाजपा अब भी यदि नही चेती तो यह पक्का मुहाल जो अभी तक उसका मेरूदंड था, उसके सामने खडा नजर आएगा, यह तय है और तब विधायक जी को मुंह छिपाने की भी शायद जगह नही मिलेगी. दूसरा बयान एक अखबार मे नवनियुक्त श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी का पढ़ने को मिला जिसमें उन्होंने फिर दोहराया कि गलियों को चौड़ा करने या मकानों का अधिग्रहण करने जैसी कोई योजना नही है. दिक्कत तो यह कि इस तरह का आश्वासन सरकार की ओर से क्यों नही आ रहा है, यह करोड़ टके का सवाल इस समय 167 चिन्हित भवनों मे रह रहे लोग पूछ रहे हैं

(वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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