New Delhi, Mar 04 : चलये चुनाव समाप्त हो गया। फिर लौटे असली मुद्दे पर। एसएससी घोटाला की बात करें। बिहार-यूपी सहित हिंदी इलाकों में सरकारी नौकरी का सबसे बड़ा माध्यम एसएससी की नौकरी ही रही है। इसे व्यापम की राह पर जानें दे। बिकने के खुले खेल के आरोप लग रहे हैं तो उस पर जांच होनी ही चाहिए। कुछ तो है जो एसएससी छिपा रही है।
Ravish Kumar को लाख गाली दें लेकिन सरकारी नौकरी और एजुकेशन सिस्टम को उन्होंने पूरे देश में मु्ददा तो बना ही दिया है। अब युवा सरकारी नौकरी और विश्वविद्यालय की हालत पर बात करने लगे हैं। नागरिक और मीडिया को इसी डिस्कोर्स पर आना ही होगा। रवीश ने सिंगल हैंडेड मीडिया में इसे मुद्दे को जगह तो दिलवा दी। आप उन्हेें लाख गाली दें लेकिन कल जाकर यूनिवर्सिटी में सुधार हो, नौकरी की बात हो और उससे आपके किसी अपने को लाभ होगा तो उसके लिए रवीश कुमार को योगदान बाद में आपको याद आएगा।
दिल्ली में एसएससी के हजारों स्टूडेंट ने राजनीति से उठकर साहस दिखाया है। चल रहे घोटाले पर आवाज बुलंद की है। हमने भी रिपोर्ट की है।
जान लें कि हर साल 4 करोड़ स्टूडेंड SSC की एग्जाम में बैठते हैं। मतलब 10 करोड़ से अधिक लोगो से जुड़ा मामला है। बात इस मुद्दे की करें। सरकार को घेंरेे।
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