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एसएससी छात्र आंदोलन : सीबीआई जांच का आदेश, खेल तो यहीं से शुरू होना है

एसएससी : आप शायद जिसे आंदोलन की मांग का पूरा होना मान कर सफलता के करीब पहुंचना समझ रहे , असल में असली खेल तो यहीं से शुरू होना है साथी।

New Delhi, Mar 05 : संघर्ष कर रहे साथी,
सबसे पहले आपके जज्बे को सलाम करता हूँ और बधाई देता हूँ कि आप ssc स्कैम के विरुद्ध इस आंदोलन में हुकूमत की छाती पर और एसएससी की गर्दन पर हुमच कर बैठे हैं।
लेकिन इस शानदार शुरुआत के बाद किसी भी आंदोलन की चुनौती अब शुरू होती है जब वो स्थापित हो जाय, मीडिया और देश की नजर में आ जाय, अपने पक्ष में व्यापक जनसमर्थन जुटा ले। तब लाखों लोगों की आकांक्षाएं उससे जुड़ जाती है और इससे आंदोलन को बहुत जिम्मेदार हो कि सावधानी से बढ़ना होता है। आपके आंदोलन का वो दौर अब शुरू हुआ है।

आप शायद जिसे आंदोलन की मांग का पूरा होना मान कर सफलता के करीब पहुंचना समझ रहे , असल में असली खेल तो यहीं से शुरू होना है साथी।
साथी, देखिये आप देश की राजधानी में आंदोलन कर रहे। इसका एक फायदा और एक नुकसान पहले समझ लीजिए। फायदा ये है कि आप तक मीडिया जल्द पहुंच गया। लेकिन नुकसान ये होता है राजधानी के होने वाले किसी भी आंदोलन में नेता तुरंत पहुंच सकता है अपनी अपनी सम्भावना टटोलने। इनके लिए ऐसा हर आंदोलन दिवाली बम्फर लॉटरी है जिसे वो खेल लेना चाहता। जब जब कोई आंदोलन सड़क पर होगा उसे नोचने राजनीती के गिद्ध मंडराने लगते हैं। और ये सब होना स्वाभाविक भी है। इसका अर्थ ये कतई नही कि राजनीती से परहेज़ करना है आंदोलन में।
साथी असल में आपको बस इन स्थितियों से संतुलन साधना आना चाहिए। आपको राजनेता को रोकना नही है आंदोलन में आने से, बोलने से।

आपको उनके प्रभाव में आने से बचना है और अपनी वैचारिक एकता बनाये रखना है। आंदोलन कि सबसे जरुरी शर्त है कि चाहे योग्य हो कम योग्य या एकदम अयोग्य लेकिन आपका नेतृत्व छात्र ही करे जो आपके बीच से हो। ऐसे नेतृत्वकर्ता की संख्या एक, दो से लेकर दस भी हो लेकिन हो जरूर।
इनकी जिम्मेवारी तय करिये कि ये क्या क्या नजर रखें।
1.जैसे कोई नेता भाषण दे , कुछ लोग उसे ध्यान से सुनें। जैसे भाषण खत्म हो, तुरंत उस भाषण पर एक स्पष्ट राय रख दें जिसमे अगर दिए गए भाषण में कोई अंश आंदोलन के लिए गैर जरूरी हो तो उसे तत्काल काट दें। कोई नाजायज़ लाभ का संकेत हो नेता द्वारा, तो उसे काट दें। मतलब आपको हर भाषण पर निगरानी और उसका तत्काल विश्लेषण करना आना चाहिए। इससे आप अपने साथी को वैचारिक तौर पे किसी भी नेता के उलटे फुलटे गैरजरूरी विचार से प्रभावित होने से रोक लेंगे।

2.कोई भी नेता आये तो उसे ये साफ़ सन्देश दे दें कि वे केवल आपके मुद्दे पे बोलें। चाहे कितना भी बड़ा नेता आये, बोले केवल मुद्दे पे। नेताओं के सामने ये भी स्पष्ट रखें कि आप केवल समर्थक हैं, आंदोलन छात्र अपने नेतॄत्व में चला रहा।
3.किसी भी नेता को दिल न दे दें। सबको कहें कि हम सभी दल का बराबर समर्थन चाहते हैं।
4.किसी भी नेता के साथ कोई प्रतिनिधि मंडल न बनाएं। समस्या के हल के लिए जो भी वार्ता का प्रतिनिधि मंडल हो वो छात्रों और बुद्धिजीवियों का हो। नेता से कहें कि आप भले हमारे वार्ता की व्यवस्था बनाने में सहयोग करिये पर वार्ता हम अपने मांग के आलोक में खुद करेंगे।
5. नेता के पक्ष में भीड़ से नारा न लगवाएं। ये आपको नैतिक रूप से तेज़विहीन कर देगा।
6.जरुरत पर किसी भी नेता को मंच से धकेल देने का साहस रखें। ये आपकी एकता से सम्भव है।
7.कोचिंग वाले सुपरस्टार टीचर से हाथ जोड़ के कहें कि जो भी मदद करना हो,पर्दे के पीछे से करिये। उनके आगे आने से आंदोलन कोचिंग प्रायोजित कहलायेगा और तब आप मर भी जाएँ तो सरकार को हिला न पाएंगे। कोचिंग का नाम आते ही आपका आंदोलन छोटे कैनवास का हो जायेगा भले भीड़ चाहे कितनी भी ज्यादा हो।

8.कोचिंग के टीचर के सामने रहने से सरकार और नेता दोनों के लिये सौदेबाज़ी आसान हो जायेगी। वे छात्रों की बजाय कोचिंग को मैनेज कर उनसे ये दवाब दिलवाएंगे कि आंदोलन को समझा बुझा खत्म करवाओ। कोचिंग पर दवाब भी बन सकता है जबकि छात्र पर नही। कोचिंग वाले आपको खाना देंगे और सरकार को भरोसा कि जल्द सब शांत हो जायेगा। ये छात्र और सरकार दोनों को खुश करने में लगे होंगे। जरा सोंचिये कि भला करोड़ों के काला हरा माल बनाने वाली ssc कोचिंग क्यों सरकार से पंगा लेगी? ये कोचिंग ऐन मौके पर अपना हाथ खींच लेंगे और आप तब अकबका के टूट भी सकते हैं। इसलिए कोचिंग पर निर्भरता मत रखिये।

9.आपके बीच जो भी छात्र उभर के आयेगा उसके प्रति गलत अफवाह फैलाया जायेगा। आंदोलन के उतार चढ़ाव में ये स्वाभाविक है और होना ही है। आपको इस परिस्थिति में एकदम संयमित होकर रहना है। आपस में फूट न हो। अगर कोई साथी संदेहास्पद है तो उसकी भूमिका सिमित कर दीजिए पर उसे साथ जरूर रखिये। किसी भी हाल में अपने छात्रों के बीच तत्काल कोई मतभेद मत लाइये।
10. कोई भी सफलता आयेगी तो नेता और कोचिंग उसका श्रेय लेगा पर जैसे ही कोई असफलता और अपयश आया तो उसका ठीकरा छात्र और उसके अगुआ पे फूटेगा।उसको डाकू चोर गद्दार पाकिस्तानी कुछ भी कहा जा सकता है। ऐसे हालात में आपको अपने साथी पे भरोसा रख आंदोलन को पुनः बढ़ाना होगा।एक बड़े काम में ये बड़ी कीमत चुकानी ही पड़ती है। किसी भी हाल में आंदोलन के बीच में साथियों की आलोचना में ऊर्जा न व्यर्थ करें।

11.आंदोलन के एक से अधिक चरण होंगे। अभी आपका पहला चरण है। कुछ भी परिणाम हो उसे लेकर निराश न हों न किसी के आलोचना से डरें। खुद और अपने साथी पर भरोसा रखें। परिणाम जरूर आयेगा।
ये तत्काल आपके आंदोलन के संदर्भ में मेरे कुछ अनुभव थे पास upsc के खिलाफ आंदोलन के जिसमे छात्रों को अंततः सफलता मिली ही थी। उम्मीद और भरोसा है आपका ये आंदोलन भी जरूर मंजिल पायेगा। मैं ये सारी बातें मंच से नही बोल सकता इसलिए लिख के पहुंचाना चाहता हूँ। मंच पे जाने का खतरा ये है कि मिनटों में मुझे भी नेता कह आंदोलन को जलाने वाले भरे बैठे हैं। इसलिए अच्छा है हमलोग यहाँ मोर्चा लिए हैं। लड़ाई जारी रखिये।। छोड़ना नही है।जय हो।।

(नीलोत्पल मृणाल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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