New Delhi, Mar 05 : मैं उन लोगों से बिल्कुल सहमत नहीं, जो कह रहे हैं कि वामपंथियों को त्रिपुरा में कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहिए था, तब वो भाजपा को रोक सकते थे! यह दलील बेमतलब है! कुछ इसी तर्ज पर कल वो कहेंगे कि वामपंथियों को केरल में कांग्रेस के साथ समझौता करना चाहिए। तब तो केरल में भी भाजपा के बल्ले बल्ले होंगे! सच ये है कि त्रिपुरा में कांग्रेस अपना वजूद बचा लेती तो बीजेपी को वहां कत्तई ऐसी कामयाबी नहीं मिलती।
दूसरी बात, माकपा ने अगर अपनी पार्टी और शासन के विभिन्न निकायों में दलित-आदिवासी-ओबीसी की हिस्सेदारी और हैसियत को और बढ़ाया होता तो
असेंबली में sc/St रिजर्व स्थान जरूर हैं। इस तरह की कुल सीटें ३० हैं पर पार्टी नेतृत्व में? अभी किसी ने फ़रमाया कि त्रिपुरा में ओबीसी रिजर्वेशन तक नहीं लागू था!
दूसरी बात, युवाओं की उभरती आबादी के लिए वाम की सत्तर-अस्सी दशक वाली सोच कहीं से भी आकर्षक नहीं लगती।
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