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जनसंख्या : इस पोस्ट से “पाकिस्तान भेजो पासपोर्ट” ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी दूर रहें

जनसंख्या बढ़ने का जो ट्रेंड है उसे देखते हुए अगले सौ साल में देश में हिंदुओं की तादाद मुस्लिमों से कम हो जाएगी।

New Delhi, Mar 11 : इन दिनों फिर से माहौल बनाया जा रहा है कि बस पांच-दस साल की बात है, पूरे देश में मुस्लिमों की तादाद हिंदू से अधिक हो जाएगी। इसके लिए तरह-तरह के तर्क दिये जा रहे हें जिसमें कोई तथ्य पर नहीं पेश किये जा रहे हैं। हैरानी होगी कि इस डर का माहौल पिछले सौ सालों से लगातार बनाया जा रहा है।

साल 1909 में प्रखर हिंदूवादी नेता यू एन मुखर्जी ने 1881 से 1901 के बीच हुई जनगणना के आधार पर भविष्यवाणी की थी कि जनसंख्या बढ़ने का जो ट्रेंड है उसे देखते हुए अगले सौ साल में देश में हिंदुओं की तादाद मुस्लिमों से कम हो जाएगी। इसके बाद उस वक्त इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई। हिंदू संगठनों ने “शुद्धि और संगठन” नामसे एक अभियान भी चलाया। यह अभियान आज पूरे देश में चल रही घर वापसी का एक ही रूप था।

जनगणना के आंकड़ों का उपयोग अपने छिपे अजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए करने में जुट गया है। हिंदूवादी संगठन आंकड़ों को अपनी आशंका का सबूत मान रहे हैं। तर्क दे रहे हैं कि पिछले दस सालों में हिंदु आबादी 18 फीसदी बढ़ी तो मुस्लिम 24 फीसदी के दर से बढ़ी और देश में हिंदुओं की तादाद कुल आबदी का पहली बार अस्सी फीसदी से कम हो रही है। यह बात सही है। लेकिन यह भी सही है कि मुस्लिमों की पहली बार आबादी बढ़ने की दर पांच फीसदी कम हाे गयी है। साथ ही दस सालाें में कुल आबादी में यह एक फीसदी से कम बढ़े। अगर असम और पश्चिम बंगाल, दो राज्यों के आंकड़े निकाल दे तो मुस्लित आबादी बढ़ने का अनुमान राष्ट्रीय औसत के करीब ही दिखेगा। इन दोनों राज्यों में मुस्लिम आबादी बढ़ने का मसला इनके बड़े आकार के परिवार से अधिक बांग्लोदशी से आने वाले अवैध नागरिकों से जुड़ा है। वह पूरी तरह अलग मुद्दा है जिसे इससे नहीं जोड़ सकते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में मुस्लिम आबादी के बढ़ने का अनुपात लगभगम थमा सा है।

और अगर मान भी लें कि अगर इसी अनुरूप हिंदू और मुस्लिमों की आबादी के घटने-बढ़ने का क्रम जारी रहा तो क्या कभी ऐसी नौबत आएगी कि हिंदू मुस्लिमों से कम हो जाएंगे? अगर इसी औसत को आधार मान लें कि अगले कुछ सालों में तस्वीर कुछ इस तरह होगी-
-2021 में-हिंदु होंगे 112 करोड़ और मुस्लिम 21 करोड़ और
100 बाद 2111 में-हिंदू होंगे 480 करोड़ और मुस्लिम 170 करोड़
-अगर इसी अनुरूप जनसंख्या बढ़ते गये तो लगभग 280 साल बाद मुस्लिम की आबादी हिंदुओं की आबादी से अधिक हो जाएगी। लेकिन अगर इसी औसत को बनाए रखते हैं तब दोनों की आबादी 6500-6200 करोड़ से ऊपर होगी। मतलब देश की आबादी 125 करोड़ से नहीं बल्कि 12500 हजार करोड़ होगी। जबकि अभी पूरे विश्व की आबादी लगभग 700 करोड़ है।

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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