New Delhi, Mar 15 : कल मैने महाराष्ट्र के आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में कुछ लिखा था। आज सुबह से फेसबुक पर कई पोस्ट देखे। प्रदर्शनकारियों को किसान कहे जाने पर बहुत से लोगो को एतराज़ है।
मैने गौर किया तो लगा कि बात ठीक है। जो लोग डेढ़ सौ किलोमीटर पैदल चल सकते हैं, वे खाली पेट नहीं होंगे। कुछ ना कुछ तो ज़रूर खाया होगा। उपर से उनके पास लाल झंडा भी है। फिर भला ये लोग किसान कैसे हो सकते हैं?
फिर इस देश का असली किसान कौन है, जिसकी मदद सरकार को करनी चाहिए? मुझे पहला नाम याद आया, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का।
लेकिन गडकरी जी खुद को किसान नहीं मानते हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक उन्होने कोई लोन भी नहीं लिया जिसे माफ करके सरकार `एक सच्चे किसान’ किसान की मदद कर सके। हां मोदीजी चाहे तो उन्हे लघु सिंचाई मंत्री ज़रूर बना सकते हैं।
सरकार अगर वाकई किसी सच्चे Farmer की मदद करना चाहती है तो उसे मुकेश अंबानी की तरफ देखना चाहिए। आज सुबह मैं उनके घर के बाहर से गुजरा। एंटिला पर उगी वनस्पतियां देखियेगा तो समझ में आ जाएगा कि खेती-किसानी क्या होती है।
यह तस्वीर गूगल से निकाली गई है, इसलिए हो सकता है आपको अंबानी निवास की हरियाली ठीक से दिखाई ना दे। पास से गुजरेंगे तो देखकर धन्य हो जाएंगे। बेजान पत्थरों से बने किलेनुमा घर की दीवारों पर सिर से पांव तक हरियाली ही हरियाली छाई है।
मुकेश भाई पर कर्जा भी बहुत है। सरकार को सच्चे किसानों की चिंता हमेशा से रही है। इसलिए उम्मीद करता हूं कि मुकेश भाई का पूरा कर्जा माफ कर दिया जाएगा।
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