New Delhi, Mar 23 : आज सरदार भगत सिंह का शहादत दिवस है .शहीदे-आज़म नास्तिक थे. अपने नास्तिक होने के बारे में उनका एक उद्धरण .यह उनके एक लेख का हिस्सा है जो उन्होंने अपनी फांसी के पहले के महीनों में लाहौर जेल के क़ैदी के रूप में लिखा था।
” सब लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे मुक़दमे का फ़ैसला क्या होना है। हफ्तेभर में वह सुना भी दिया जायेगा। मेरे लिए इस ख़याल के अलावा और क्या राहत हो सकती है कि
मगर मैं किस चीज़ की उम्मीद करूँ? मैं जानता हूँ कि जब मेरी गरदन में फाँसी का फन्दा डालकर मेरे पैरों के नीचे से तख़्ते खींचे जायेंगे, सब कुछ समाप्त हो जायेगा।
बाद के लिए कुछ नहीं रहेगा। अगर मुझमें इस दृष्टि से देखने का साहस है तो एक छोटा-सा संघर्षमय जीवन ही, जिसका अन्त भी कोई शानदार अन्त नहीं, अपने आप में मेरा पुरस्कार होगा।
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