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बीजेपी की जोड़-तोड़ से हारी दसवीं सीट ने मायावती को मनमाफिक ऑक्सीजन दे दिया

मायावती खुद मैदान में नही उतरीं बल्कि एक ऐसा दलित कैंडिडेट उतारा जिसका नाम ही भीमराव अंबेडकर था।

New Delhi, Mar 25 : ……और भाजपा ने भीमराव अंबेडकर को हरा दिया। अभी नैतिकता और आदर्श की नही, सिर्फ राजनीति की बात। राज्यसभा की एक अतिरिक्त सीट जीतकर भाजपा को क्या मिला? एक दलित उम्मीदवार जिसका नाम भीमराव अंबेडकर है, को पूरे दल-बल से हराकर भाजपा ने क्या सन्देश दिया? जोड़-तोड़ से हारी इस सीट ने मायावती को मनमाफिक ऑक्सीजन दे दिया। उन्हें इस बात का अंदाजा था कि भाजपा गोरखपुर और फूलपुर की हार का ज़ख़्म भुलाने की गरज से ये “गोल” कर जाएगी। इसीलिए मायावती खुद मैदान में नही उतरीं बल्कि एक ऐसा दलित कैंडिडेट उतारा जिसका नाम ही भीमराव अंबेडकर था। भाजपा ने वही किया। नतीजे में आज पूरे यूपी में भाजपा के शिक्षा कारोबारी “अग्रवाल साहब” की जीत और “भीमराव अंबेडकर” की हार की चर्चा है। भाजपा की इस जीत ने दलित घरों में 2019 का सीधा पैगाम दे दिया है।

पर अभी भी थोड़ी कसर बाकी थी। सो कारोबारी अग्रवाल साहब की भीमराव अंबेडकर पर हुई इस जीत का जश्न मनाने रात के 12 बजे यूपी के दो “बड़े” चेहरे बीजेपी दफ्तर पहुंच गए। यूपी के मुख्यमंत्री ठाकुर योगी आदित्यनाथ और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष ब्राह्मण शिरोमणि महेंद्र नाथ पांडेय जी। गर्व भरी मुस्कान के साथ दांतों से मिठाई काटती इनकी छवि तेज़ी से टीवी कैमरों पर फ़्लैश होने लगी। पांडेय जी और ठाकुर साहब का “भीमराव अंबेडकर” पर मिली जीत का ये अभूतपूर्व जश्न भी 24×7 चैनलों के इस दौर में घर घर दाखिल हो गया। गोरखपुर और फूलपुर की हार के बदले में बीजेपी ने पूरे उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा के काडर को एकजुट कर दिया। कोई हैरानी नही अगर राज्यसभा चुनाव की 9वी सीट पर “छीनी” हुई ये जीत सपा-बसपा के गांव-गांव तक फैले काडर के बीच का “फेविकोल” बन चुकी हो।

अब थोड़ी बात कर लें उस नैतिकता और आदर्श की जो किसी भी तरफ नही है। यहां सभी बराबर हैं। भाजपा-सपा-बसपा-कांग्रेस, सब एक ही थाली के प्रसाद। पर आज बारी भाजपा की थी। अमनमणि त्रिपाठी और राजा भैया सरीखे बाहुबलियों ने “महाराज जी” यानि योगी आदित्यनाथ की पुकार पर अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनने और बीजेपी को वोट देने का फैसला किया। इस एहसान के बदले में इन बाहुबलियों की अंतरात्मा “महाराज जी” से क्या क्या “आशीर्वाद” मांगेगी, ये लिखने की ज़रूरत है क्या? एक ही झटके में “भगवा” अभयदान पा चुके इन बाहुबलियों की बांछे खिल गयीं, वे शरीर मे जहां भी हों।

कुछ ऐसा ही प्रसाद निषाद पार्टी के बाहुबली विजय कुमार मिश्रा की “अंतरात्मा” को भी महाराज जी की कृपा से हासिल हो गया। क्रॉस वोटिंग करने वाले बसपा के अनिल सिंह और भाजपा की “विक्की डोनर” रणनीति के तहत पार्टी में एकाएक दाखिल हुए नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी आशीर्वाद की इसी बारिश में निहाल हो गए। अपराधियों, डाकुओं, बाहुबलियों और अवसरवादियों को भाजपा ने गुनाह धोने का सीधा सा मंत्र दे दिया। भगवा ओढ़ो। पाला बदलो। क्रॉसकर वोट कर दो। हमारी ओर से अलख निरंजन।
सो इस जीत के साथ गोरखपुर और फूलपुर की हार का ग़म तो बीजेपी ने ग़लत कर दिया पर पिक्चर फिर भी बाकी है।

(टीवी पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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