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जिन्हें एनसीसी का डिटेल्स नहीं पता, खाक मोदी का मुकाबला करेंगे- Prabhat Dabral

ये कहना कि मुझे एनसीसी की डिटेल्स पता नहीं है उसके खोखलेपन की निशानी नहीं है तो फिर क्या है.

New Delhi, Mar 26 : उस दिन मैसूर में छात्रों के एक सम्मलेन में एक छात्रा ने राहुल गाँधी से सवाल किया कि एनसीसी का ‘सी’ सर्टिफिकेट कोर्स करने के उसे क्या क्या फायदे मिल सकते हैं. राहुल बाबा ने बड़े ही भोलेपन से उसे जबाब दिया कि मुझे एनसीसी की ट्रेनिंग वगैरह के बारे में डिटेल्स पता नहीं हैं. कांग्रेस के भक्त इस उत्तर को राहुल की ईमानदारी का एक उदहारण बता कर खुश होना चाहें तो हो लें, मुझे ये उत्तर अटपटा तो लगा ही आसन्न खतरे का सूचक भी लगा. देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष से जो हमारे देश का प्रधान मंत्री बनाने का सपना संजो रहा है और जिसे खुर्राट कांग्रेसी युवा ह्रदय सम्राट के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, उसका ये कहना कि मुझे एनसीसी की डिटेल्स पता नहीं है उसके खोखलेपन की निशानी नहीं है तो फिर क्या है.

ज़रा सोचिये दसवीं से बारहवीं के बीच पढ़ रहे करीब सोलह लाख बच्चे हर साल एनसीसी की ट्रेनिंग ले रहे होते हैं. लेफ्टिनेंट जनरल स्तर का एक अधिकारी इस ट्रेनिंग का इंचार्ज होता है और उसके मातहत सैकड़ों अधिकारी, जेसीओ और एनसीओ इस काम में लगे है. एक ज़माना था जब एनसीसी के सी सर्टिफिकेट पास करने वालों को सीधे एसएसबी के इंटरव्यू में बुलाकर फौज में अधिकारी बनाने का मौका दिया जाता था. आज भी एनसीसी के सी सर्टिफिकेट पास बच्चों को कई नौकरियों में वरीयता मिलती है. बड़े शहरों में एनसीसी का चलन अब उतना न रह गया हो लेकिन छोटे शहरों और कस्बों में अभी भी इसका क्रेज़ है. कहा न कि सोलह लाख बच्चे इससे जुड़े हैं. और प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा एक नौजवान कह रहा है कि उसे एनसीसी की डिटेल्स पता नहीं हैं.

दूसरी तरफ मोदी को देखिये. उन्होंने इन सोलह लाख बच्चों से सीधे संवाद करने की एक योजना तैयार की है. इन सबके पते, इ-मेल आईडी और मोबाइल नंबर जमा किये जा रहे हैं. अगर इनमे से आधों के पास भी मोबाइल हुए तो मोदी हर रोज़ आठ लाख बच्चों को गुड़ मॉर्निंग कहेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे. इनमे से बहुत से २०१९ के चुनावों में वोट देंगे और २०२२ तक तो इनमे से हरेक अट्ठारह पर कर चुका होगा.

वैसे भी ये नौजवान देश का एक बड़ा रिसोर्स हैं. इनकी ऊर्जा के सार्थक इस्तेमाल के बारे में तो सोचा ही जाना चाहिए. और आप बड़ी मासूमियत से कह दे रहे हैं कि मुझे एनसीसी की डिटेल्स नहीं पता…..क्या खाके बीजेपी का मुक़ाबिला करोगे… अब भी समय है, कुछ पढ़ लिख लो…

(वरिष्ठ पत्रकार प्रभात डबराल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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