Categories: indiaspeak

वाह! दलीय नेताओं की मीटिंग करके दलगत राजनीति से मुक्त हो गए यशवंत सिन्हा जी!

यशवंत सिन्हा जीवन और राजनीति की सच्चाइयों को समझ नहीं पा रहे। वह यह तो मानते हैं कि वे बड़े नेता हैं और उनके पास काफी योग्यता व अनुभव है।

New Delhi, Apr 24 : राजनीति और जीवन में हर व्यक्ति के साथ ऐसा समय आता है, जब अगली पीढ़ियां दायित्व संभाल लेती हैं और उसकी प्रासंगिकता कम हो जाती है। ऐसे समय में लालकृष्ण आडवाणी की तरह शांत और गंभीर हो जाना चाहिए, यशवंत सिन्हा की तरह बेचैन और वाचाल नहीं।
हाशिए पर लालकृष्ण आडवाणी भी डाले गए हैं, लेकिन जब आडवाणी नहीं रहेंगे, तो रोएंगे तो नरेंद्र मोदी भी। इतना ही नहीं, भविष्य में इस विचार परिवार की राजनीति चाहे जिस स्वरूप में भी होगी, उसमें आडवाणी को दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी की कतार में उतनी ही इज्जत से देखा जाएगा।

लेकिन यशवंत सिन्हा जीवन और राजनीति की सच्चाइयों को समझ नहीं पा रहे। वह यह तो मानते हैं कि वे बड़े नेता हैं और उनके पास काफी योग्यता व अनुभव है, लेकिन पटना में आज जिस तरह से उन्होंने दलगत राजनीति छोड़ने का एलान करने के लिए विभिन्न दलों के छोटे-छोटे नेताओं का जमावड़ा लगाया और उनके सामने अपनी भड़ास निकाली, वह उनकी कमज़ोरी और बौनेपन का परिचय ही अधिक देता है।
शत्रुघ्न सिन्हा अभी केवल 70 साल के हैं, इसलिए, अगर उन्हें लगता हो कि अभी पांच-दस साल और उनकी राजनीति बची हुई है तो वे अपने फैसले बेशक ले सकते हैं। लेकिन यशवंत सिन्हा 80 साल के हो गए। उन्हें अब माया छोड़नी होगी और अधिक ज़िम्मेदार होना होगा।

मैं यह नहीं कहता कि उम्र 80 साल हो गई तो उन्हें घर बैठ जाना चाहिए। ऐसा तो मैं 90 साल के आडवाणी जी के लिए भी नहीं कहता। लेकिन हां, उम्र के इस पड़ाव पर हर व्यक्ति को अपनी सामाजिक भूमिका और व्यवहार को नए सिरे से तय करने की ज़रूरत होती है।

इसलिए, अगर यशवंत सिन्हा यह फैसला करते हैं कि वे दलगत राजनीति से दूर देश की सरकारों को आईना दिखाने और जहां आलोचना के बिन्दु हों, वहां आलोचना करने की ज़िम्मेदारी निभाना चाहते हैं, तो यह काम वे बेशक करें, लेकिन इस तरह विभिन्न दलों के छोटे-छोटे नेताओं का जुटान न करें।
और अगर उन्हें विभिन्न दलों के नेताओं के साथ ऐसा जुटान करने से परहेज नहीं है, तो फिर दलगत राजनीति छोड़ने का ढोंग न करें। मैं यशवंत सिन्हा जी की आधी उम्र का हूं, लेकिन एक युवा मित्र होने के नाते सुझाव तो दे ही सकता हूं। समझना, न समझना उनकी मर्ज़ी।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
Leave a Comment
Share
Published by
ISN-2

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago