New Delhi, May 04 : बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शिक्षा की बदहाली के लिए नेताओं को जिम्मेवार ठहराया गया है। राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं। इसलिए उनके पास पूरी जानकारी होती है। उन्होंने 3 मई को पटना के ए. एन. कालेज के समारोह में कहा कि बिहार में बीएड शिक्षा के नाम पर बड़ा कारोबार चल रहा है। मनमाना पैसा लेकर बीएड कॉलेजों में नामांकन होता है और पैसे लेकर डिग्री दी जाती है। जब इन कॉलेजों की जाँच होती है तो किराये पर फैकल्टी लाकर बैठा दी जाती है। शायद ही कोई नेता ऐसा होगा जिसका बीएड कालेज न हो। इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। जैसे ही कुछ सख्ती की जाती है नेता पैरवी करने आ जाते हैं। लेकिन अब यह चलनेवाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं जानता हूँ कि मेरा विरोध होगा, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। मुझे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी का मैंडेट प्राप्त है। मैं बीएड की दुकानें बंद कराकर ही रहूँगा। उन्होंने सुधार अभियान में लोगों से सहयोग की अपील की। हालांकि बिहार के छात्रों की प्रतिभा की तारीफ करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यहां के छात्रों में असीम उर्जा है। भारत को शिक्षा के क्षेत्र में यदि अगला नोबेल पुरस्कार मिलता है तो वह बिहार के छात्र को ही मिलेगा। यानी बिहारी छात्रों के साथ उनकी पूरी सहानुभूति है।
राज्यपाल का यह बयान सरकार को जरूर नागवार लगेगा। उस सरकार के लिए यह सचमुच शर्मनाक स्थिति है जो सुशासन के दावे करती है।
इसके पहले भी राज्यपाल कैंपस की अराजक स्थिति पर अपनी पीड़ा का सार्वजानिक इजहार कर चुके हैं।
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