New Delhi, May 17 : क्या जम्मू और कश्मीर में आतंक का रास्ता अख्तियार कर अपने ही निर्दोष देशवासियों और सैनिकों का क़त्लेआम मचाने वाले आतंकी सचमुच मुसलमान हैं ? वे किसी भी अर्थ में मुसलमान नहीं हो सकते। फिर माहे रमज़ान का बहाना लेकर उन्हें एक महीने तक सैन्य कार्रवाई से छूट देने का क्या अर्थ है ? अगर आप उन्हें मुसलमान मानते हैं तो आप बहुत भोले हैं और पिछले अनुभवों से आपने कुछ भी नहीं सीखा है।
यह सबको पता है कि पिछले एक-डेढ़ साल की कठोर सैन्य कार्रवाईयों से प्रदेश के आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आक़ाओं की क़मर बुरी तरह टूटी हुई है। अफ़रातफ़री के इस माहौल में उन्हें सांस लेने की थोड़ी मोहलत चाहिए थी। उन्हें एक महीने का अभयदान देकर आप उन्हें सुधरने का नहीं, फिर से संगठित होकर हत्याओं का नया और पहले से ज्यादा बर्बर सिलसिला शुरू करने का अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। होना यह चाहिए था कि रमज़ान के पाक़ महीने में मानवता के इन दुश्मनों के खात्मे का अभियान और ज़ोरशोर से चलाया जाता।
मुझे नहीं लगता कि इस राजनीतिक फ़ैसले में सेना की सहमति ली गई होगी। यह सेना और पुलिस के मनोबल को तोड़ने वाली भारी रणनीतिक भूल है
आतंकियों की बर्बरताओं का सिलसिला अगर माहे रमज़ान के दौरान भी शुरू हो जाय तो किसी को ताज़्ज़ुब नहीं होना चाहिए क्योंकि युद्धविराम का विचार वे पहले ही खारिज़ कर चुके हैं। पूर्व में भी उन्होंने सरकार की सदाशयता का मज़ाक उड़ाया है !
आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…
ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…
अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…
धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…
भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…
मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…
Leave a Comment