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कॉर्पोरेट कंपनियों को राहत देने की फ़िराक में सरकार अपने ही जाल में फंस गयी है

भारी सब्सिडी के ज़रिये सस्ता पेट्रोल और किसानो के लिए मनरेगा की महायोजना, ये दो ऐसे फैसले थे जो मनमोहन सरकार को सत्ता में वापस ले आये थे।

New Delhi, May 22 : एक लीटर पेट्रोल का दाम आज मुंबई में 84.40 रूपए और दिल्ली में 76. 24 रूपए रहा । अगर क्रूड आयल के दाम कुछ डॉलर और बढ़ गये तो देश में पेट्रोल 100 रूपए प्रति लीटर का आसमान छू लेगा। चुनाव के आखिरी साल में तेल के दाम में ये रिकॉर्ड उछाल सरकार का तेल निकाल सकती है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव के अनुसार मोदी सरकार अगर सब्सिडी की ओर लौटे, कुछ ड्यूटी कम करे, तो इस संकट को हल किया जा सकता है। सरकार अपना खजाना थोड़ा खाली करे तो तेल के दाम 60-65 रूपए तक लाये जा सकते हैं।

यूपीए-1 के आखिरी साल में इस तरह का चुनावी कैलकुलेशन प्रणब मुखर्जी ने किया था जब वे सब्सिडी के सहारे तेल के दाम 45 रूपए से भी नीचे ले गए थे। भारी सब्सिडी के ज़रिये सस्ता पेट्रोल और किसानो के लिए मनरेगा की महायोजना, ये दो ऐसे फैसले थे जो मनमोहन सरकार को सत्ता में वापस ले आये थे। या यूँ कहे कि दो अहम आर्थिक फैसले लेकर या जनता को आर्थिक राहत देकर मनमोहन का दुबारा सत्ता में लौटने का रास्ता आसान हुआ था। ये रास्ता मोदी भी अपना सकते हैं और तेल संकट को हल कर सकते हैं । लेकिन ऐसा लगता है कि कॉर्पोरेट कंपनियों को राहत देने की फ़िराक में सरकार अपने ही जाल में फंस गयी है।

मोदीजी के लिए तेल की सब्सिडी देना वाकई मुश्किल चुनौती है। वजह ये है कि सब्सिडी सरकारी तेल कंपनियों को दी जा सकती है लेकिन रिलायंस और एस्सार जैसे कारपोरेट को कैसे दें ? अगर निजी कंपनियों को सब्सिडी दी तो हंगामा खड़ा हो जायेगा। कांग्रेस जैसे ‘भ्रष्ट’ शासन में भी एस्सार और रिलायंस को सब्सिडी नहीं दी गयी थी। लिहाजा मुकेश अम्बानी से लेकर एस्सार के रुइया बंधुओं को तब अपने पेट्रोल पंप बंद करने पड़े थे।
2014 में लालकिले के पहले भाषण के बाद मोदीजी ने तेल से सरकारी नियंत्रण हटा लिया था । तर्क ये दिया गया था कि क्रूड आयल के जो दाम बाजार में होंगे उसी दाम के आधार पर भारत में तेल बिकेगा। इस फैसले के बाद रिलायंस ने अपने करीब 1500 और एस्सार ने करीब 5000 पेट्रोल पंप फिर से शुरू कर दिए। तेल पर सब्सिडी और कण्ट्रोल दोनों हटने से एस्सार और रिलायंस ने अपने पंप नेटवर्क के ज़रिये खूब पैसा पीटा। लेकिन अचानक क्रूड आयल के दाम दुनिया में फिर बढ़ने लगे। इतने बढ़े की सरकार के लिए चुनावी दौर में संकट खड़ा होना लगा है।

अब अगर मोदीजी सरकारी तेल कंपनियों को सब्सिडी देते हैं तो मुकेश भाई को अरबों का नुकसान होगा और उन्हें अपने सारे पेट्रोल पंप बंद करने पड़ेगे। एस्सार आयल को खरीदने वाली रुसी कम्पनी को भी भारी घाटा होगा। अगर मोदीजी सब्सिडी एस्सार और रिलायंस जैसी निजी कंपनियों को भी देते हैं तो नया विवाद खड़ा हो जायेगा। अगर मोदीजी किसी को भी सब्सिडी नहीं देते तो तेल के दाम बढ़ते ही चले जायेंगे और महंगाई से त्रस्त जनता सरकार के खिलाफ मुट्ठी बाँध सकती है।
सच में संकट तो विकट है।
और अगर हल है तो साहेब के हाथ बंधे है।
वैसे हाथ तभी बंध जाते हैं
जब आप कहते कुछ हैं
और करते कुछ और है।
बहरहाल अंग्रेज़ी का एक चर्चित कथन है। पढ़िए और खुद मतलब ढूंढिए।
“Truth will rise above falsehood as oil above wat

(वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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