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‘पाकिस्तान शांति से रह नहीं सकता’

पाकिस्तान और आतंकवादियों ने मिलकर भारत के कितने सैनिक और नागरिक मारे, तो शायद एक सिर के बदले 10 सिर की गुत्थी सुलझे।

New Delhi, May 24 : यह रमज़ान का महीना है। सबके लिए रमज़ान के मायने अलग-अलग हैं। भारत सरकार मुस्लिम आतंकवादियों तक को राहत दे रही है। पाकिस्तान सरकार भारत के रिहाइशी इलाकों में फायरिंग करवा के गैर-मुस्लिम नागरिकों तक को आहत कर रही है।
अगर इस बात का आंकड़ा सामने आए कि पिछले चार साल में भारत ने कितने आतंकवादी मारे और पाकिस्तान और आतंकवादियों ने मिलकर भारत के कितने सैनिक और नागरिक मारे, तो शायद एक सिर के बदले 10 सिर की गुत्थी सुलझे। फिलहाल, पाकिस्तान और आतंकवादियों के तेवरों में तो हमें कोई नरमी महसूस हो नहीं रही।

एक दिन ख़बर आती है आतंकवादी हमले की, पत्थरबाज़ी की, पर्यटकों को निशाना बनाए जाने की, पाकिस्तान की तरफ़ से सीज़फायर उल्लंघन की, भारत के रिहाइशी इलाकों में फायरिंग की। हम गुस्से से उबल पड़ते हैं।
दूसरे दिन ख़बर आ जाती है- भारत/सेना ने दिया मुंह-तोड़ जवाब। हमारा गुस्सा शांत हो जाता है। ये अलग बात है कि भारत और सेना के मुंह-तोड़ जवाब से आज तक कभी पाकिस्तान का टूटा हुआ मुंह दिखाई नहीं दिया।
अलग-अलग लोग भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही समस्या को अलग-अलग तरीके से देखते हैं। कोई इसे कश्मीर समस्या या सीमा-विवाद की तरह देखता है, कोई इसे राजनीतिक समस्या कहता है, पर कभी-कभी हमें लगता है कि यह मूलतः धार्मिक समस्या है।

पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, इसलिए वह शांति से रह नहीं सकता। वह लड़ता रहेगा। लड़ना उसकी फितरत है। कुछेक अपवादों को छोड़कर दुनिया के प्रायः सभी इस्लामिक देश अशांत हैं। लड़ रहे हैं। अपने आप से भी। दूसरों से भी। कभी-कभी लगता है कि युद्ध इस्लाम के अनुयायियों को मिला धार्मिक आदेश है, जिसका पालन करने से वे पीछे हट नहीं सकते। भले कई लोग इस पर पर्दा डालने की कितनी ही कोशिशें क्यों न करें।
बहरहाल, भारत-पाकिस्तान के बीच जब तक इस तरह के तनावपूर्ण रिश्ते रहेंगे, भारत में हिन्दुओं और मुसलमानों के रिश्ते सहज नहीं हो सकते। सच पूछें तो इसके लिए किसी को ब्लेम भी नहीं किया जा सकता। 70 साल एक-दूसरे को ब्लेम करके देख लिया है। अगले 70 साल भी ब्लेम-गेम ही चलता रहेगा।

भारत फंस गया है। एक बंटवारे ने उसको तब तक के लिए अशांत कर दिया है, जब तक कि पाक का अस्तित्व है और पाकिस्तान का अस्तित्व उसके लिए केवल और केवल इसीलिए ख़तरा है और ख़तरा बना रहेगा, क्योंकि पाक एक धार्मिक राष्ट्र है। पाकिस्तान अगर धार्मिक राष्ट्र नहीं होता, तो वह भी भारत जैसा होता या फिर आज भी भारत का ही हिस्सा होता।
धर्म की इस कड़वी हक़ीक़त को हमें समझना होगा। हालांकि न इसे समझने से कुछ लाभ होने वाला है, न इसकी अनदेखी करके कुछ लाभ हुआ है। भारत फंस गया है। न कांग्रेस सरकारों को समझ में आया कि पाकिस्तान से कैसे निपटा जाए, न भाजपा सरकार को समझ में आ रहा है कि उसका इलाज क्या है।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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