New Delhi, Jun 01 : साल 2001 में महिलाओं को छोटे बिजनेस शुरु करने के लिये चंद्र शेखर घोष ने माइक्रो फाइनेंस कंपनी की शुरुआत की थी, 17 सालों के भीतर ही इस छोटी सी कंपनी ने बैंक का रुप ले लिया। गरीबों और महिलाओं को कर्ज देने वाली ये माइक्रोफाइनेंस कंपनी बंधन भारत की पहली माइक्रोफाइनेंस कंपनी है, जिसे रिजर्व बैंक द्वारा लाइसेंस प्राप्त है। धीरे-धीरे इसकी शाखाएं देशभऱ में फैल रही है, खास बात ये है कि इस अद्भुत बिजनेस आइडिया के हीरो चंद्र शेखर घोष खुद एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे।
मुश्किल में बीता बचपन
चंद्र शेखर घोष का जन्म साल 1960 में त्रिपुरा के एक छोटे से गांव रामचंद्रपुर में हुआ था, उनके पिता छोटी सी मिठाई की दुकान चलाते थे,
सरकारी स्कूल से पढाई
चंद्र शेखर ने अपनी 12वीं तक की पढाई ग्रेटर त्रिपुरा के एक सरकारी स्कूल से की। फिर ग्रेजुएशन करने के लिये वो बांग्लादेश चले गये।
पिता के लिये खरीदी शर्ट
अपने बीते दिनों को याद करते हुए चंद्र शेखर घोष भावुक हो जाते हैं, उन्होने पिछले दिनों एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिया था,
महिलाओं की स्थिति देख परेशान हुआ
बंधन बैंक के चैयरमैन कहते हैं, कि महिलाओं की बदतर स्थिति देख उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे, स्थिति इतनी खराब है कि उन्हें बीमार हालत में भी अपना पेट भरने के लिये मजदूरी करनी पड़ती है, घोष के अनुसार महिलाओं की स्थिति तब बदल सकती है,
उधार के पैसे से शुरु की कंपनी
घोष ने अपने साले और कुछ लोगों से 2 लाख रुपये उधार लेकर अपनी कंपनी की शुरुआत की, हालांकि उस समय उऩके करीबी लोगों ने उन्हें खूब समझाया,
साल 2001 में कंपनी
जुलाई 2001 में उन्होने बंधन कोन्नागर नाम से नॉन प्रॉफिट माइक्रोफाइनेंस कंपनी की शुरुआत की, बंधन का ऑफिस उन्होने कोलकाता से 60 किमी दूर बगनान नाम के गांव में बनाया था, यहीं से उन्होने अपना काम शुरु किया।
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